वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने IBC को लेकर कही ये बड़ी बात, राज्यसभा में पास हुआ यह विधेयक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Sep, 2020 04:17 PM

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) का मकसद कंपनियों को चलताहाल बनाए रखना है, उनका परिसमापन करना नहीं है उन्होंने कहा कि आईबीसी अच्छा काम कर रही है

नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) का मकसद कंपनियों को चलताहाल बनाए रखना है, उनका परिसमापन करना नहीं है उन्होंने कहा कि आईबीसी अच्छा काम कर रही है और अपने मकसद को पूरा करने में सफल रही है। 

सीतारमण ने शनिवार को राज्यसभा में दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा का जवाब देते हुए यह बात कही। राज्यसभा में यह विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। यह विधेयक इस बारे में जून में लाए गए अध्यादेश का स्थान लेगा। इस विधेयक के तहत प्रावधान है कि कोरोना वायरस की वजह से 25 मार्च से छह महीने तक कोई नई दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) कार्रवाई शुरू नहीं की जाएगी। 

महामारी के कारण उठाए गए कदम 
वित्त मंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण पैदा हुई अभूतपूर्व स्थिति के कारण इस बारे में अध्यादेश लाया गया था। देश में कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए 25 मार्च को ही लॉकडाउन लगाया गया था। विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि आईबीसी की ‘मंशा' कंपनियों को ‘चलताहाल' बनाए रखना है, उनका परिसमापन करना कतई नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि महामारी के कारण बनी स्थिति की वजह से समय की मांग थी कि तत्काल कदम उठाए जाएं और उसके लिए अध्यादेश का तरीका चुना गया। 

आजीविका से ज्यादा जरूरी जान की हिफाजत करना था
वित्त मंत्री ने कहा कि अध्यादेश को कानून बनाने के लिए सरकार अगले ही सत्र में विधेयक लेकर आ गई। उनके जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही सदन ने माकपा सदस्य के के रागेश द्वारा पेश उस संकल्प को नामंजूर कर दिया जिसमें दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को अस्वीकार करने का प्रस्ताव किया गया था। कोविड-19 महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन के संदर्भ में सीतारमण ने कहा कि उस समय आजीविका से ज्यादा जरूरी जान की हिफाजत करना था। 

एमएसएमई की स्थिति हो जाएगी और  खराब 
उन्होंने कहा कि इसका असर लोगों के साथ ही अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा लेकिन आम लोगों की जान बचाना ज्यादा महत्वपूर्ण था। उन्होंने हालांकि कहा कि लोगों को हुई परेशानी का संज्ञान लिया गया और सरकार ने कई कदम उठाए। इससे पहले राज्यसभा में कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि कोविड-19 के मद्देनजर उठाए गए कदमों से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की स्थिति खराब हो जाएगी और छोटे कारोबारियों पर भार बढ़ जाएगा। 

कांग्रेस सदस्य विवेक तन्खा ने उच्च सदन में कहा कि कोविड-19 को लेकर सरकार ने कई फैसले किए लेकिन उनमें से कुछ पर पुनर्विचार करने की जरूरत है। तन्खा ने दिवाला और ऋणशोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2020 पर चर्चा की शुरूआत की। उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र को राहत प्रदान करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि यह क्षेत्र 12 करोड़ लोगों को रोजगार देता है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 25 प्रतिशत है। इसके अलावा देश के निर्यात में भी इसका अहम योगदान रहा है।

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