बिक्री नहीं, समाशोधन पर हो जोर: साहू

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Jun, 2018 04:09 PM

focus should be resolution not liquidation sahoo

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अध्यक्ष एम.एस.साहू ने आज कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत आने वाले मामलों में प्रयास ऋण के समाधान का होना चाहिए

कोलकाताः भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) के अध्यक्ष एम.एस.साहू ने आज कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत आने वाले मामलों में प्रयास ऋण के समाधान का होना चाहिए न कि कंपनी को परिसमाप्त करने पर। उन्होंने कहा कि संहिता का उद्देश्य सभी हितधारकों के हितों में संतुलन बनाते हुए कंपनी को जिंदा रखना है जिसके लिए सफल समाधान निकालने की जरूरत है। पर उन्होंने कहा कि ऐसा अभी हो नहीं पा रहा है।

सीआईआई के एक कार्यक्रम में साहू ने कहा, ‘‘यह हो नहीं रहा है लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। हमारा उद्देश्य ऋण का समाधान होगा। ऐसा होने के लिए समाधान से निकलने वाला मूल्य परिसमापन के मूल्य से ऊंचा होना चाहिए।’’ साहू ने कहा कि समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए मतदान की सीमा को 75 प्रतिशत से घटाकर 66 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) को सौंपे गये 850 मामलों में 130 मामले समाशोधन या बिक्री के चरण में हैं। इन 130 में से 100 मामले बिक्री के लिए भेजे गए हैं।

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