Union Budget 2023: ग्रामीण इलाकों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर होगा फोकस, UBS की इकोनॉमिस्ट की राय

Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Jan, 2023 01:16 PM

focus will be on rural areas and infrastructure says ubs economist

यूनियन बजट 2023 में सरकार का फोकस ग्रामीण इलाकों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहने की उम्मीद है। UBS India की रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है। यूबीएस इंडिया की इकोनॉमिस्ट तनवी गुप्ता जैन ने यह रिपोर्ट तैयार की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1

बिजनेस डेस्कः यूनियन बजट 2023 में सरकार का फोकस ग्रामीण इलाकों और इंफ्रास्ट्रक्चर पर रहने की उम्मीद है। UBS India की रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया है। यूबीएस इंडिया की इकोनॉमिस्ट तनवी गुप्ता जैन ने यह रिपोर्ट तैयार की है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2023 को यूनियन बजट पेश करेंगी। यह बजट ऐसे वक्त आ रहा है जब अमेरिका, इंग्लैंड जैसी दुनिया की बड़ी इकोनॉमी पर मंदी का खतरा मंडरा रहा है। इधर, इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अच्छी बनी हुई है। यह अगले साल लोकसभा चुनावों से पहले मोदी 2.0 सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा।

10 अरब डॉलर तक बढ़ सकता है आवंटन

यूबीएस इंडिया की रिपोर्ट मे कहा गया है कि यूनियन बजट 2023 में सरकार ग्रामीण और कृषि के लिए आवंटन 10 अरब डॉलर तक बढ़ा सकती है। यह इस फाइनेंशियल ईयर के आवंटन के मुकाबले करीब 15 फीसदी ज्यादा होगा। सरकार के पूंजीगत खर्च में भी करीब 20 फीसदी की वृद्धि करने का अनुमान है। बताया जाता है कि अगले फाइनेंशियल ईयर में भी पूंजीगत खर्च पर सरकार का फोकस बना रहेगा।

MGNREGA के लिए बढ़ेगा आवंटन

इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूनियन बजट 2023 में सरकार अपने खर्च में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं करेगी। अगले वित्त वर्ष में सब्सिडी पर होने वाला सरकार का खर्च काफी कम रह सकता है। इससे सरकार के पास ग्रामीण इलाकों के लिए आवंटन बढ़ाने में मदद मिलेगी। सरकार ग्रामीण इलाकों से जुड़ी स्कीम, MGNREGA और ग्रामीण इलाकों में सड़कों के लिए आवंटन बढ़ा सकती है।

अगले वित्त वर्ष में इंडियन इकोनॉमी की ग्रोथ थोड़ी सुस्त पड़ने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5.5 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है। इसकी वजह मौद्रिक नीति में सख्ती और ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ में संभावित कमी है। हालांकि, लंबी अवधि में इडियन इकोनॉमी की ग्रोथ अच्छी बनी रहेगी। यह करीब 5.75 से 6.25 फीसदी के बीच रह सकती है। हालांकि, इसके लिए सरकार को पूंजीगत खर्च पर अपना फोकस बनाए रखना होगा।

डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी आएगी

इस रिपोर्ट में इस साल की पहली छमाही में डॉलर के मुकाबले रुपया के गिरकर 85 के स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान जताया गया है। उसके बाद इंडियन करेंसी में रिकवरी देखने को मिल सकती है। हालांकि, रुपये का प्रदर्शन दूसरे उभरते बाजारों के मुकाबले कमजोर रह सकता है। इसका असर बॉन्ड की कीमतों पर पड़ सकता है। इससे बॉन्ड यील्ड बढ़कर 7.5 फीसदी के लेवल पर पहुंच सकती है। 
 

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