खाद्य मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के दौरान मुफ्त अनाज वितरण के कठिन कार्य को बखूबी पूरा किया

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Dec, 2020 10:31 AM

food ministry successfully completes the arduous task

देश के 80 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराना एक असाध्य काम था लेकिन खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के कारण उठापटक वाले वर्ष 2020 में इस काम को बखूबी अंजाम दिया

नई दिल्लीः देश के 80 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को मुफ्त अनाज मुहैया कराना एक असाध्य काम था लेकिन खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कोविड-19 महामारी के कारण उठापटक वाले वर्ष 2020 में इस काम को बखूबी अंजाम दिया। लगातार आठ महीने तक राशन दुकानों के जरिए मुफ्त अनाज का वितरण किया गया। इस उपलब्धि का श्रेय खाद्य, सार्वजनिक वितरण और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और सरकारी स्वामित्व वाली भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को जाता है कि देश के किसी भी हिस्से में महामारी के दौरान खाद्यान्न की कोई कमी नहीं देखी गई। वस्तुतः फल, सब्जियों और दूध जैसी आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं होने दी गई। हालांकि, थोड़े समय के लिए प्याज की कीमतों में उछाल जरूर देखा गया। 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्ना योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत, मंत्रालय ने अप्रैल-नवंबर की अवधि में लगभग 3.2 करोड़ टन मुफ्त खाद्यान्न का वितरण किया। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत दिए जाने वाले अत्यधिक रियायती दर के खाद्यान्न के नियमित वितरण के अतिरिक्त था। वर्ष के दौरान मार्च में महामारी के फैलना शुरु होने पर मंत्रालय के उपभोक्ता मामलों के विभाग ने भी पर्याप्त मात्रा में मास्क और हैंड सैनिटाइटर की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नियामक मोर्चे पर तेजी से कदम उठाकर कुशलतापूर्वक अपनी भूमिका निभाई। 

कोरोनोवायरस संक्रमण के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाऊन ने रोजगार और श्रमिकों पर बुरा असर डाला क्योंकि फैक्ट्रियों और निर्माण कार्य लगभग ठप्प हो गया था। बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार समाप्त हो गए। इस पृष्ठभूमि में, सरकार ने पीएमजीकेएवाई के तहत अप्रैल से नवंबर की अवधि में 80 करोड़ से अधिक गरीब राशन कार्डधारकों को प्रति व्यक्ति अतिरिक्त पांच किलो मुफ्त अनाज और एक किलो दाल की आपूर्ति करने का निर्णय लिया। मंत्रालय ने अप्रैल 2020 से इस नई योजना को शुरू किया। किसी भी मायने में, यह एक कठिन कार्य था और मंत्रालय बिना किसी खास दिक्कत के इसे पूरा करने में कामयाब रहा, सिवाय इसके कि यह मई-अगस्त के दौरान केवल तीन करोड़ प्रवासी मजदूरों को ही मुफ्त राशन पहुंचाया जा सका जबकि लक्ष्य आठ करोड़ का था। 

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा, ‘‘कोविड-19 के कारण उत्पन्न स्थितियों की वजह से यह संकटों से भरा एक अभूतपूर्व साल था। महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, हमने राशन की दुकानों के माध्यम से गरीबों के बीच वितरण के लिए किसानों से अनाज खरीद का सफल प्रबंधन किया।'' पांडे ने कहा कि जब महामारी सामने आई, तो गेहूं जैसी रबी फसलें कटाई के लिए तैयार थीं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसानों को मंडियों में अपनी उपज बेचने में कोई समस्या न हो, सरकार ने कृषि गतिविधियों को लॉकडाऊन के नियमों से अलग कर दिया और खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ा दी ताकि सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन करते हुए व्यापार हो सके।

पांडे ने कहा, ‘‘हमने महामारी के बावजूद रबी सत्र में रिकॉर्ड 3.9 करोड़ टन गेहूं की खरीद की है। चालू खरीफ सत्र में धान की खरीद पहले ही 20 प्रतिशत बढ़कर 4.5 करोड़ टन हो गई है।'' उन्होंने कहा कि चीनी मिलें, गन्ना किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित कर सकें इसके लिए सरकार ने वर्ष के अंतिम दिनों में 3,500 करोड़ रुपए की निर्यात सब्सिडी की घोषणा की। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों को 3.2 करोड़ टन गेहूं और चावल के वितरण के अलावा, इन प्रवासी मजदूरों को आठ लाख टन खाद्यान्न और 1.66 लाख टन दालों का वितरण किया। उपभोक्ता मामले विभाग की अपर सचिव, निधि खरे ने कहा, ‘‘यह एक बड़ा अभियान था, दालों को प्रसंस्करण मिलों से दूर देश के कोने-कोने तक ले जाया जाना था। हमने गरीबों को महामारी के दौरान प्रोटीन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के लिए वायुमार्ग सहित परिवहन के सभी तरीकों का इस्तेमाल किया।'' 

उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत संतोषजनक था कि हम इस तरह की चुनौती का सामना करने के लिए मुस्तैद हुए। हमें गरीबों को बुनियादी भोजन उपलब्ध कराने की संतुष्टि है और इसके लिए कोई दंगा फसाद नहीं हुआ न ही आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी हुई।'' महामारी के बीच में, विभाग ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना जारी करने सहित कई अन्य कदम उठाए, जिसके तहत खाद्य सामग्री को नियमन के दायरे से बाहर कर दिया गया। विभाग ने मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत 20 लाख टन दालों और एक लाख टन प्याज के बफर स्टॉक के निर्माण का काम जारी रखा। राशन की दुकानों, मध्यान्ह भोजन योजना और एकीकृत बाल विकास योजना के माध्यम से दालों के बफर स्टॉक का वितरण जारी रहा। प्याज की आसमान छूती कीमतों को नरम करने के लिए बफर स्टॉक से प्याज की आपूर्ति सफल, केन्द्रीय भंडार और राज्य सरकार की एजेंसियों के माध्यम से की गई।  
 

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