विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में 2019 में किया 1.3 लाख करोड़ रुपए का निवेश

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Dec, 2019 04:16 PM

foreign investors invested rs 1 3 lakh crore in indian markets in 2019

नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने भारतीय पूंजी बाजारों में 1,33,074 करोड़ रुपए का निवेश किया। मौद्रिक नीति में नरमी और अर्थव्यवस्था को सहारा देने के सरकारी उपायों के चलते एफपीआई...

नई दिल्लीः नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड के आंकड़ों के अनुसार, 2019 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) ने भारतीय पूंजी बाजारों में 1,33,074 करोड़ रुपए का निवेश किया। मौद्रिक नीति में नरमी और अर्थव्यवस्था को सहारा देने के सरकारी उपायों के चलते एफपीआई ने निवेश किया है। 1,33,074 करोड़ रुपए के निवेश में से 97,250 करोड़ रुपए का निवेश शेयरों में किया गया। पिछले साल की बात करें, तो साल 2018 में एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार से 80,919 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की थी। 

एफपीआई ने 2019 में 26,828 करोड़ रुपए के ऋणपत्रों की शुद्ध खरीदारी की। वहीं 2018 में एफपीआई ने 47,795 करोड़ रुपए के ऋणपत्रों की शुद्ध बिकवाली की थी। 2019 में हाइब्रिड प्रतिभूतियों में एफपीआई ने 8,999 करोड़ रुपए की शुद्ध खरीदारी की लेकिन 2018 में एफपीआई ने 109 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी। बता दें कि 2017 में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने हाइब्रिड प्रतिभूति नाम से नई श्रेणी की शुरुआत की थी। इसमें रियल एस्टेट निवेश न्यास और बुनियादी संरचना निवेश न्यास में एफपीआई के निवेश को वर्गीकृत किया जाता है।

2020 में भी जारी रहेगा सकारात्मक रुख 
विशेषज्ञों ने कहा है कि यह सकारात्मक रुख 2020 में भी जारी रहेगा। अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और घरेलू ऋण बाजार की स्थिति खराब होने से इसके नीचे जाने का जोखिम रहेगा। 

विश्लेषकों के मुताबिक, 2019 की शुरुआत में हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के स्पष्ट बहुमत से एफपीआई का उत्साह बढ़ा था लेकिन बजट में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर लगाने की घोषणा के बाद एफपीआई ने घरेलू बाजार से पैसे निकालने शुरू कर दिए। इसके बाद कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में कटौती की वजह से एफपीआई का भरोसा पुन: घरेलू बाजार में लौटा। 

क्या है एफपीआई?
बता दें कि जब एक अंतरराष्ट्रीय निवेशक, किसी अन्य देश के उद्यम की निष्क्रिय होल्डिंग में निवेश करता है, यानी वित्तीय परिसंपत्ति में निवेश करता है, तो इसे एफपीआई के रूप में जाना जाता है।

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