RBI के पूर्व गवर्नरों की चेतावनी, इकॉनमी पर भारी पड़ सकता है बैंकों का बढ़ता NPA

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Nov, 2020 12:02 PM

former rbi governors warn economy may be overshadowed by rising npa of banks

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तीन पूर्व गवर्नरों ने चेतावनी दी है कि बैंकों का बढ़ता एनपीए (NPA) देश की आर्थिक प्रगति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अगर सरकार ने जल्दी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो इकॉनमी पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के तीन पूर्व गवर्नरों ने चेतावनी दी है कि बैंकों का बढ़ता एनपीए (NPA) देश की आर्थिक प्रगति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। अगर सरकार ने जल्दी इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो इकॉनमी पर इसका बुरा असर पड़ सकता है। आरबीआई के पूर्व गवर्नरों ने जर्नलिस्ट तमाल बंद्योपाध्याय की आने वाली किताब "Pandemonium: The Great Indian Banking Tragedy" में यह बात कही है।

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इसमें कहा गया है कि समस्या यह है कि कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए सरकार ने काफी पैसा झोंक दिया है और अब उसके पास बैंकों की मदद करने के लिए बहुत कम संसाधन बचे हैं। गिरते राजस्व संग्रह से राजकोषीय घाटे के बजट लक्ष्य से दोगुना पहुंचने की आशंका है। 2008 ले 2013 तक आरबीआई के गवर्नर रही डी सुब्बाराव ने कहा कि बैड लोन की समस्या बड़ी और वास्तिव है लेकिन यह भी सच है कि सरकार की अपनी राजकोषीय मजूबरी है।

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सरकार ने इस साल सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण (recapitalization) के लिए 20,000 करोड़ रुपए (2.7 अरब डॉलर) का प्रावधान किया है जबकि विश्लेषकों का कहना है कि इसके लिए 13 अरब डॉलर की जरूरत है। पिछले तीन साल में सरकार नें 2.6 लाख करोड़ रुपए सरकारी बैंकों में झोंके हैं लेकिन उनकी समस्या कम होने के बजाय बढ़ती जा रही है। मार्च तक इसके 12.5 फीसदी पहुंचने का अनुमान है जो दशक में सबसे अधिक है।

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2003 से 2008 तक आरबीआई के गवर्नर रहे वाई वी रेड्डी ने कहा कि राजकोषीय समस्या ने पहले बैंकिंग और फिर फाइनेंशियल सेक्टर को अपनी चपेट में ले लिया जिससे इकॉनमी प्रभावित हो रही है। कुल मिलाकर एनपीए न केवल एक समस्या है बल्कि यह कई दूसरी समस्याओं का परिणाम है। वहीं 1992 से 1997 तक केंद्रीय बैंक के प्रमुख रहे सी रंगराजन ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर की समस्या बरकरार है और हाल में लिए गए नोटबंदी जैसे नीतिगत फैसलों ने बैंकिंग सेक्टर की समस्या को और विकराल बना दिया। यह एक आर्थिक संकट है।

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