Edited By Supreet Kaur,Updated: 12 Jul, 2018 02:08 PM
अगर उपभोक्ता सजग रहे और न्याय के लिए डटा रहे तो उसे इंसाफ जरूर मिलता है। जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने एक फैसले में बिजली विभाग को ही झटका दे दिया है। फोरम ने उपभोक्ता का मीटर ट्रांसफर न करने पर बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को हर्जाना देने का...
बिजनेस डेस्कः अगर उपभोक्ता सजग रहे और न्याय के लिए डटा रहे तो उसे इंसाफ जरूर मिलता है। जिला उपभोक्ता फोरम ने अपने एक फैसले में बिजली विभाग को ही झटका दे दिया है। फोरम ने उपभोक्ता का मीटर ट्रांसफर न करने पर बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को हर्जाना देने का आदेश दिया।
क्या है मामला
बिजली विभाग के रवैये से परेशान श्यामगंज रोड निवासी अविनाश चौरसिया को लगातार संघर्ष के बाद आखिरकार आठ साल बाद इंसाफ मिला। जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम में अविनाश चौरसिया द्वारा दाखिल वाद में बताया गया कि उसने बिजनैस के लिए दुकान लीज पर ली थी। इस दुकान में पूर्व के उपभोक्ता का मीटर लगा था, जिसे अपने नाम ट्रांसफर करने के लिए उसने आवेदन दिया। उसने निर्धारित शुल्क भी जमा करवा दिया व रसीद भी ले ली। लगातार बिजली विभाग का चक्कर लगाते-लगाते वह परेशान हो गया लेकिन मीटर उसके नाम ट्रांसफर नहीं किया गया। बिजली विभाग केवल आश्वासन देकर टालता रहा। विवश होकर 19 मार्च 2010 को उसने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया, जहां पर लंबे समय तक न्यायिक प्रक्रिया में केस उलझता रहा। अंतत: जिला उपभोक्ता फोरम ने अविनाश चौरसिया के पक्ष में फैसला सुनाया।
यह कहा फोरम ने
उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लालजी सिंह कुशवाहा व सदस्य दिलीप कुमार श्रीवास्तव ने बिजली विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को 2 महीने के अंदर वादी के नाम से बिजली मीटर ट्रांसफर करने व मानसिक क्षतिपूर्ति की राशि 5000 तथा वाद व्यय के रूप में 3000 यानी कुल राशि 8000 रुपए 9 प्रतिशत की दर से भुगतान करने का आदेश दिया है।