Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jun, 2022 05:03 PM

विदेशी निवेशकों की भारतीय इक्विटी बाजारों से निकासी जारी है। भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने के बाद एफपीआई ने इस महीने अब तक लगभग 46,000 करोड़ रुपए निकाले हैं। फेडरल रिजर्व की नीतियों, कच्चे तेल की कीमतों...
बिजनेस डेस्कः विदेशी निवेशकों की भारतीय इक्विटी बाजारों से निकासी जारी है। भारतीय रिजर्व बैंक और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा करने के बाद एफपीआई ने इस महीने अब तक लगभग 46,000 करोड़ रुपए निकाले हैं। फेडरल रिजर्व की नीतियों, कच्चे तेल की कीमतों और अस्थिर रुपए ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के रुख को प्रभावित किया।
आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई द्वारा 2022 में अब तक इक्विटी से शुद्ध निकासी बढ़कर 2.13 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई है। यस सिक्योरिटीज में संस्थागत इक्विटी के प्रमुख विश्लेषक हितेश जैन ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दूसरे प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक सख्ती, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और अस्थिर रुपये के बीच अनुमान है कि एफपीआई उभरते बाजारों से दूर रहेंगे। उन्होंने कहा कि एफपीआई की आवक तभी दोबारा शुरू होगी, जब अमेरिका में फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में बढ़ोतरी रुक जाएगी।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि इसके अलावा अगर डॉलर और बॉन्ड प्रतिफल का मौजूदा रुझान बना रहता है, तो एफपीआई द्वारा और अधिक बिकवाली करने की संभावना है। आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने जून में (24 तारीख तक) इक्विटी से 45,841 करोड़ रुपए की शुद्ध निकासी की। विदेशी निवेशक अक्टूबर 2021 से भारतीय इक्विटी से लगातार धन निकाल रहे हैं। इस तरह की निकासी आखिरी बार 2020 की पहली तिमाही में देखी गई थी, जब महामारी तेजी से बढ़ रही थी।