Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Nov, 2018 05:45 PM
बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को मुफ्त उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं पर बैंक जीएसटी लगाने पर विचार कर रहे हैं। बैंक मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने वाले ग्राहकों और सैलरी अकाउंट जैसे कुछ चुनिंदा खातों पर कई सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं।
मुंबईः बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को मुफ्त उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं पर बैंक जीएसटी लगाने पर विचार कर रहे हैं। बैंक मिनिमम बैलेंस मेंटेन करने वाले ग्राहकों और सैलरी अकाउंट जैसे कुछ चुनिंदा खातों पर कई सेवाएं निःशुल्क उपलब्ध कराते हैं। इन फ्री सेवाओं को जीएसटी के दायरे में लागे की तैयारी है।
इस कारण भारतीय स्टेट बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक सहित प्रमुख बैंक जीएसटी को ग्राहकों से वसूलने की तैयारी कर रहे हैं। इस तरह आपके लिए चेक बुक, एटीएम, फ्यूल चार्ज पर रिफंड और क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करना महंगा हो जाएगा।
ग्राहकों का बढ़ेगा भार
इससे पहले अक्टूबर में खबर आई थी कि कर विभाग ने करीब 19 बैंकों को नोटिस जारी कर ग्राहकों को मुहैया कराई गईं फ्री सेवाओं के लिए टैक्स चुकाने के लिए कहा है। इंडियन बैंक एसोसिएशन के सीईओ वीजी कन्नन ने बताया, 'ज्यादातर बैंक अब जीएसटी का भार ग्राहकों पर डालने की तैयारी कर रहे हैं। ये राशि सीधे सरकार को जाएगी।'
बैंक की सेवाएं कितनी महंगी होने वाली हैं, ये अलग अलग बैंक के हिसाब से तय होगा कि उनकी सेवाओं का मूल्य क्या है। इस मूल्य का करीब 18 प्रतिशत ग्राहकों को चुकाना पड़ेगा। बैंक इसके लिए अपने सॉफ्टवेयर में बदलाव कर रहे हैं और फ्री सेवाओं पर किस तरह टैक्स लिया जाएगा, इसका तरीका तय होने के बाद ये राशि ग्राहकों के खाते से काटकर सरकार को सौंपनी शुरू कर दी जाएगी।