Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Apr, 2021 02:59 PM
दवा उद्योग आकर्षक वित्त वर्ष की राह पर बढ़ सकता है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत मांग को बढ़ावा देगी और इससे घरेलू राजस्व में बड़ा इजाफा होगा।
मुंबईः दवा उद्योग आकर्षक वित्त वर्ष की राह पर बढ़ सकता है। 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत मांग को बढ़ावा देगी और इससे घरेलू राजस्व में बड़ा इजाफा होगा। इससे राजस्व स्रोत में तेजी आ सकती है, क्योंकि जब तक महामारी खत्म नहीं हो जाती, तब तक कोविड टीका कार्यक्रम चलता रहेगा।
इसके अलावा, 2021-21 भी इस उद्योग के लिए अच्छा रहा था और जेनेरिक दवाओं के लिए मजबूत मांग की वजह से निर्यात 18.7 प्रतिशत बढ़कर 24.44 अरब डॉलर पर रहा था। वैश्विक दवा बाजार पर दबाव और पहली तिमाही (अप्रैल-जून 2020) पर लॉकडाउन का प्रभाव पडऩे के बावजूद यह पिछले कई वर्षों में शानदार वृद्धि दर थी। पूर्ववर्ती वित्त वर्ष 2019-20 में निर्यात 7.57 प्रतिशत बढ़कर 20.58 अरब डॉलर पर पहुंच गया था।
निर्यात के संदर्भ में उत्तरी अमेरिका 34 प्रतिशत से ज्यादा की भागीदारी के साथ सबसे बड़ा बाजार बना हुआ है। अफ्रीका के लिए निर्यात 13.4 प्रतिशत बढ़ा। दक्षिण अफ्रीका बड़े बाजार के तौर पर उभरा और वहां के लिए निर्यात 28 प्रतिशत तक बढ़ा। अफ्रीका के बाद तीसरे सबसे बड़े बाजार यूरोपीय संघ के लिए निर्यात में वृद्धि करीब 11 प्रतिशत रही। लैटिन अमेरिका (14.5 प्रतिशत की वृद्धि), सीआईएस देशों (23.5 प्रतिशत) और पश्यिम एशिया (17.5 प्रतिशत) जैसे गैर-पारंपरिक बाजारों में भी मांग तेजी से बढ़ रही है। वहीं ऑस्ट्रेलिया और यूक्रेन आदि जैसे बाजारों के लिए वृद्धि दर उत्साहजनक थी।
उद्योग को 2020-21 में चुनौतीपूर्ण समय का सामना करना पड़ा था। तब उसे चीन में लॉकडाउन की वजह से ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रिडिएंट्स (एपीआई) की किल्लत से जूझना पड़ा, क्योंकि वुहान एपीआई के लिए वैश्विक केंद्र है। इसके अलावा भारतीय लॉकडाउन की वजह से भी परिचालन संबंधी समस्याएं सामने आई थीं। इसके परिणामस्वरूप, आपूर्ति शृंखलाओं और प्रक्रियाओं में बड़ा बदलाव लाया गया और डिजिटलीकरण की प्रक्रिया तेज की गई थी। इससे भविष्य में उद्योग को मजबूती मिलेगी और यही वजह हे कि वृद्धि का रुझान बरकरार रहने की संभावना है।
गुणवत्ता और लागत प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में अनुकूल स्थिति होने के अलावा, भारतीय दवा उद्योग को संभावित मौद्रिक कमजोरी का भी लाभ मिलने की संभावना है। पहली तिमाही में कमजोरी के बाद 2020-21 की दूसरी और तीसरी तिमाही में रुपया मजबूत हुआ। मार्च 2021 में इसमें फिर से कमजोरी शुरू हुई और रुपये में गिरावट का रुझान 2021-22 में बना रह सकता है। इससे मुनाफे को ताकत मिलेगी।
अन्य कारक है कोविड-19 से आ रहा बदलाव। घरेलू टीका कार्यक्रम के कुप्रबंधन और खतरनाक दूसरी लहर के बावजूद, मुख्य फोकस भारत की जेनेरिक क्षमता पर है। लेकिन इसे आरऐंडडी क्षमता बढ़ाकर दुरुस्त किए जाने की जरूरत होगी। इसके लिए नीतिगत समर्थन के साथ साथ उद्योग द्वारा सक्रिय कदम उठाने की भी जरूरत होगी जिसके लिए उसे ज्यादा वैश्विक भागीदारियों की संभावना तलाशनी होगी।
निफ्टी फार्मा सूचकांक का प्रदर्शन निफ्टी के मुकाबले कमजोर रहा है। पिछले 12 महीने में जहां निफ्टी फार्मा ने 42 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है, वहीं निफ्टी ने 56 प्रतिशत की तेजी दर्ज की है। हालांकि निफ्टी फार्मा सूचकांक ने पिछले एक महीने में शानदार प्रदर्शन किया। जहां इस सूचकांक ने 11.8 प्रतिशत का प्रतिफल दिया वहीं निफ्टी में 3 प्रतिशत की कमजोरी दर्ज की गई। फार्मा सूचकांक 35 के पीई पर कारोबार कर रहा है, जो निफ्टी (32 का पीई) के मुकाबले थोड़ा ऊपर और 40 से ज्यादा के उसके दीर्घावधि मूल्यांकन से नीचे है।