नए साल में विश्वस्तरीय सड़कें बनाने पर होगा सरकार का ध्यान: गडकरी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Dec, 2018 06:43 PM

gadkari says 2019 focus will be on creating world class expressways

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि नए साल में सरकार का ध्यान विश्वस्तरीय एक्सप्रेस-वे बनाने पर होगा। उन्होंने कहा कि इस साल बातचीत और अन्य कोशिशों से अधिकांश रूकी हुई

नई दिल्लीः सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि नए साल में सरकार का ध्यान विश्वस्तरीय एक्सप्रेस-वे बनाने पर होगा। उन्होंने कहा कि इस साल बातचीत और अन्य कोशिशों से अधिकांश रूकी हुई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद मिली और बैंकों की तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में परिर्वितत होने से बचाई गई।

गडकरी ने कहा, ‘सरकार के प्रयासों से 99 प्रतिशत अटकी पड़ी परियोजनाओं को पटरी पर लाने में सफलता मिली। समस्याओं और मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत और लगातार बैठकों से यह संभव हो सका। इस मामले में कंपनियों को काली-सूची में डालने और उन्हें दोषी ठहराने के बजाय मंत्रालय ने समस्याओं को दूर करने पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि ‘कर्ज नहीं लौटाने के आदि और गलत काम करने वालों को बेशक दोषी ठहराया जाना चाहिए लेकिन जिन कंपनियों का पिछला रिकॉर्ड अच्छा रहा है उनके मामले में कोई कदम उठाते समय सावधानी बरती जानी चाहिए। साल 2018 में सरकार का यही प्रयास रहा है।

उल्लेखनीय है कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने 2017 के आखिर में लार्सन एंड टूब्रो, एचसीसी और एस्सेल इंफ्रा जैसी बड़ी कंपनियों को अटकी हुई परियोजनाओं के लिए बोली लगाने से प्रतिबंधित कर दिया था। हालांकि, इसके तुरंत बाद गडकरी ने काली सूची संबंधी आदेश पर अस्थायी रोक लगाते हुए 2018 की पहली छमाही में बैंकरों, कंपनियों और अन्य पक्षों के साथ मैराथन बैठकें की। 

गडकरी ने कहा, '3.85 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 403 राजमार्ग परियोजनाएं अटकी पड़ी थीं और वे एनपीए में परिर्वितत होने के कगार पर पहुंची थी। हमने पहल करते हुए बातचीत की और बैंकरों एवं कंपनियों के साथ मैराथन बैठकें की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी मदद की। मंत्रिमंडल ने क्षेत्र की नीतियों से जुड़़े 22 फैसले किए और आखिरकार बैंकों के तीन लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि को एनपीए होने से बचा लिया गया।' उन्होंने कहा कि यदि हम इन परियोजनाओं से जुड़ी ठेकेदार कंपनियों को दोषी मानकार कार्रवाई आगे बढ़ाते तो न केवल उस परियोजना के लिए दिया गया कर्ज एनपीए हो जाता बल्कि क्षेत्र को भारी नुकसान उठाना पड़ता। 

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