Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Mar, 2019 04:33 PM
प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना सरकार के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है। इस योजना से ब्रांडेड कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार की इस योजना का लक्ष्य ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के मुकाबले 50 से 90 फीसदी सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने का है।
नई दिल्लीः प्रधानमंत्री जनऔषधि योजना सरकार के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है। इस योजना से ब्रांडेड कंपनियों को बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार की इस योजना का लक्ष्य ब्रांडेड कंपनियों की दवाओं के मुकाबले 50 से 90 फीसदी सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने का है। जन औषधि केंद्रों के कारण भारतीय दवा बाजार का विकास वित्त वर्ष 2015 के 13.5 फीसदी से गिरकर वित्त वर्ष 2018 में 10 फीसदी पर पहुंच गया है। साल 2020-21 तक जन औषधि योजना के कारण भारतीय दवा उद्योग की बिक्री के 20 फीसदी तक प्रभावित होने की उम्मीद है।
आंकड़ों का विश्लेषण करने पर सामने आया है कि ड्रग रेगुलेटर की तरफ से नए कॉम्बिनेशन ड्रग्स के प्रति सख्ती के कारण पिछले दो साल में दवा बाजार में नई दवाओं के आने की विकास दर करीब आधी हो गई है। लोगों के बीच ब्रांडेड जेनेरिक्स की तुलना में सस्ते विकल्प के बारे में जागरुकता बढ़ने और उन तक पहुंच के कई साधनों के कारण भी ब्रांडेड जेनेरिक्स की वॉल्यूम ग्रोथ प्रभावित होना शुरू हो गया है।
सरकार की तरफ से जन औषधि केंद्रों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। सरकार की इस पहल का प्रभाव ब्रांडेड जेनरिक्स पर देखने को मिल रहा है। जन औषधि केंद्रों पर 800 से अधिक जेनरिक दवाएं उपलब्ध हैं। इनमें एंटी कैंसर, एंटी-इंफेक्टिव, रिप्रोडक्टिव और गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल दवाएं शामिल हैं। वर्तमान में देश में 5000 से अधिक जन औषधि केंद्र हैं। साल 2020 तक 2500 और जन औषधि केंद्र खोले जाने की उम्मीद है।
एडलुइस का कहना है कि जन औषधि योजना से होने वाले राजस्व के वित्त वर्ष 2019 में दुगना होने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2019 में 300 करोड़ रुपये के राजस्व की उम्मीद की जा रही है। यह भारतीय दवा बाजार के करीब एक फीसदी हिस्से को संभावित रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। एडलुइस के अनुसार ब्यूरो ऑफ फार्मा पीएसयू ऑफ इंडिया (बीपीपीआई) ने वित्तवर्ष 2018 में 120 करोड़ रुपए की ब्रिकी की। वहीं ब्रांडेड प्रोडक्ट की बिक्री समान अवधि में 600 करोड़ रुपए थी।