Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Jun, 2019 06:54 PM
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा है कि आर्थिक वृद्धि (जीडीपी वृद्धित) की गणना के लिए अपनाए गए नए पैमानों के चलते 2011-12 और 2016-17 के बीच आर्थिक वृद्धि दर औसतन 2.5% ऊंची हो गई। उन्होंने हार्वर्ड विश्विद्यालय द्वारा प्रकाशित अपने...
नई दिल्लीः पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने कहा है कि आर्थिक वृद्धि (जीडीपी वृद्धित) की गणना के लिए अपनाए गए नए पैमानों के चलते 2011-12 और 2016-17 के बीच आर्थिक वृद्धि दर औसतन 2.5% ऊंची हो गई। उन्होंने हार्वर्ड विश्विद्यालय द्वारा प्रकाशित अपने शोध पत्र में कहा है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर उपरोक्त अवधि में 4.5 प्रतिशत रहनी चाहिए जबकि आधिकारिक अनुमान में इसे करीब 7 प्रतिशत बताया गया है।
सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘भारत ने 2011-12 से आगे की अवधि के जीडीपी के अनुमान के लिए आंकड़ों के स्रोतों और जीडीपी अनुमान की पद्धति बदल दी है। इससे आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान अच्छा-खासा ऊंचा हो गया।'' जीडीपी की नई श्रृंखला के तहत देश की आर्थिक वृद्धि को लेकर विवाद के बीच यह रिपोर्ट आई है। तौर-तरीकों की समीक्षा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में हुई। उन्होंने कहा, ‘‘आधिकारिक अनुमान के अनुसार सालाना औसत जीडीपी वृद्धि 2011-12 और 2016-17 के बीच करीब 7 प्रतिशत रही। हमारा अनुमान है कि 95% विश्वास के साथ इसके 3.5 से 5.5 प्रतिशत के दायरे में मानते हुए इस दौरान जीडीपी की वास्तविक वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही होगी। ''
सुब्रमणियम लिखते हैं कि विनिर्माण एक ऐसा क्षेत्र है जहां सही तरीके से आकलन नहीं किया गया। वह पिछले साल अगस्त में आर्थिक सलाहकार पद से हटे। हालांकि उनका कार्यकाल मई 2019 तक के लिए बढ़ाया गया था। उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव यह है, ‘‘वृहत आर्थिक नीति काफी बड़ी है। सुधारों को आगे बढ़ाने की गति संभवत: कमजोर हुई। आने वाले समय में आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाना प्राथमिकता में सबसे ऊपर होनी चाहिए, जीडीपी अनुमान पर फिर से गौर किया जाना चाहिए।'' पिछले महीने जारी आधिकारिक आंकड़े के अनुसार आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 की चौथी तिमाही में पांच साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत रही।
कृषि और विनिर्माण क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन के कारण भारत की यह वृद्धि दर चीन से भी कम रही। उन्होंने अपने शोध पत्र का लिंक देते हुए ट्वीट किया, ‘‘अत: वैश्विक वित्तीय संकट के बाद भारत की वृद्धि दर अच्छी रही लेकिन शानदार नहीं थी।'' सुब्रमणियम ने कहा, ‘‘मेरे शोध पत्र में मूल तकनीकी प्रक्रियागत बदलाव पर जोर है। यह हाल में जीडीपी विवाद से अलग है।''