जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 4.5% रहा, बीती 26 तिमाही में सबसे कम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Nov, 2019 06:04 PM

gdp growth rate for the second quarter 4 5

चालू वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। जुलाई-सितंबर माह के लिए सकल घरलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 4.5 फीसदी के स्तर पर आ गया है। इसके पहले की तिमाही में यह जीडीपी दर 5 फीसदी के स्तर पर था।

नई दिल्लीः चालू वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। जुलाई-सितंबर माह के लिए सकल घरलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 4.5 फीसदी के स्तर पर आ गया है। इसके पहले की तिमाही में यह जीडीपी दर 5 फीसदी के स्तर पर था। यह पिछली 26 तिमाही में सबसे कम है। पहली तिमाही में विकास दर 5 फीसदी पर आ गई है। वहीं, पिछले वित्‍त वर्ष की समान तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 फीसदी दर्ज की गई थी। वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को इन आंकड़ों को जारी किया था।  

जीवीए भी घटकर 4.3 फीसदी के स्तर पर
​सितंबर तिमाही के लिए ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी जीवीए भी घटकर 4.3 फीसदी के स्तर पर था। पहली तिमाही में यह 4.9 फीसदी के स्तर पर था। एक साल पहले सामान अवधि में यह 6.9 फीसदी था।

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बृहस्पतिवार को विशेषज्ञों के बीच कराए गए एक सर्वे में पता चला है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी पर आ सकती है। सर्वे के अनुसार, वैश्विक मंदी ने भारत के निर्यात पर काफी असर डाला है। जून तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी लेकिन सितंबर तिमाही में यह पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कमजोर रह सकती है।

2018 की समान तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। सरकार सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सितंबर तिमाही में विकास दर चार फीसदी से भी नीचे जा सकती है। इससे पहले जनवरी-मार्च 2013 में विकास दर 4.3 फीसदी रही थी। इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री दिवेंद्र पंत का कहना है कि उपभोक्ता खपत में गिरावट की वजह से शहरी क्षेत्र की विकास दर काफी सुस्त हो सकती है, जिसे त्योहारी सीजन में भी पर्याप्त ग्राहक नहीं मिल सके हैं। 

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आरबीआई घटा सकता है रेपो रेट
सर्वे में कहा गया कि रिजर्व बैंक एक बार फिर रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। तीन से पांच दिसंबर चलने वाली एमपीसी बैठक में रेपो रेट को घटाकर 4.90 फीसदी पर की जा सकती है। सर्वे में शामिल अधिकतर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि घरेलू कर्ज की धीमी रफ्तार और कंपनियों के घटते मुनाफे की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकड़ने में समय लगेगा। 

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कोर सेक्‍टर में बड़ी गिरावट, एक साल पहले के मुकाबले 5.8% की कमी
बीते अक्‍टूबर महीने में भारत के कोर सेक्‍टर में एक बार फिर बड़ी गिरावट आई है। सरकार के ताजा आंकड़ों के मुताबिक एक साल पहले के मुकाबले कोर सेक्‍टर में 5.8 फीसदी की कमी आई है। बता दें कि कोर सेक्‍टर के 8 प्रमुख उद्योग में कोयला, क्रूड, ऑयल, नेचुरल गैस, रिफाइनरी प्रोडक्ट्स, फर्टिलाइजर्स, स्टील, सीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी आते हैं। इनकी भारत के कुल इंडस्ट्रियल आउटपुट (औद्योगिक उत्पादन) में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी होती है।

किसमें कितनी आई कमी?
कोर प्रोडक्‍शन की बात करें तो 17.6 फीसदी की गिरावट आई है जबकि क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस प्रोडक्‍शन में क्रमश: 5.1 फीसदी और 5.7 फीसदी की कमी आई है। सीमेंट प्रोडक्‍शन में 7.7 फीसदी और स्‍टील प्रोडक्‍शन में 1.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इसी तरह इलेक्‍ट्रिसिटी प्रोडक्‍शन 12.4 फीसदी लुढ़क गया है। सिर्फ फर्टिलाइजर्स सेक्‍टर के प्रोडक्‍शन में बढ़त देखने को मिली है। यह सेक्‍टर एक साल पहले के मुकाबले में 11.8 फीसदी की दर से बढ़ा है।

 

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