ग्रोथ की रफ्तार घटी, पहली तिमाही में GDP 7.1%

Edited By ,Updated: 01 Sep, 2016 02:06 PM

gdp industrial production

अर्थव्यवस्था के लिहाज से आज खबरें उतनी अच्छी नहीं रहीं। जहां एक तरफ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था के लिहाज से आज खबरें उतनी अच्छी नहीं रहीं। जहां एक तरफ देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 7.1 प्रतिशत रही जो पिछली 6 तिमाहियों की सबसे धीमी वृद्धि है वहीं बुनियादी उद्योग क्षेत्र के उत्पादन में वृद्धि जुलाई में कम होकर 3.2 प्रतिशत पर आ गई।  

 

सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) वृद्धि में धीमेपन का प्रमुख कारण खनन, निर्माण एवं कृषि क्षेत्र का धीमा प्रदर्शन है। पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत थी। पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में 7.9 प्रतिशत थी। इससे पहले वित्त वर्ष 2014-15 की अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में यह 6.6 प्रतिशत थी। इसके अलावा, जुलाई में 8 बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर घटकर 3.2 प्रतिशत पर पहुंच गई जो इस साल जून में 5.2 प्रतिशत थी। मुख्य रूप से कोयला, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र के धीमे प्रदर्शन से औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में कमी आई।  

 

वित्त मंत्रालय ने पहली तिमाही में जी.डी.पी. वृद्धि दर के धीमा होने के लिए अधिक सबसिडी व्यय को जिम्मेदार ठहराया और विश्वास जताया कि बेहतर मानसून तथा वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 8 प्रतिशत के आसपास रहेगी। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘इस साल बेहतर मानसून, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने तथा सरकार के विभिन्न संरचनात्मक सुधारों से हमारा अनुमान है कि वृद्धि दर पिछले साल के (7.6 प्रतिशत) मुकाबले अधिक रहेगी। संभवत: यह 8 प्रतिशत के आसपास रहेगी।’’ उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि नीति निर्माताआें को अर्थव्यवस्था के उत्पादक क्षेत्रों में ऋण प्रवाह को बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि मौजूदा वृद्धि को समर्थन मिल सके।

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