GDP रैंकिंग: कहीं और न फिसल जाए भारत, 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाना भी कठिन

Edited By Supreet Kaur,Updated: 03 Aug, 2019 09:31 AM

gdp ranking india should not slip anywhere else

सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के मामले में विश्व बैंक ने जो ताजा तस्वीर पेश की है, उसमें भारत की रैंकिंग 5वें पायदान से खिसककर 7वें पायदान पर आने से भारत के सामने गंभीर चुनौती दिखाई दे रही है। फिलहाल ग्रोथ रेट में सुधार की कोई उम्मीद न दिखने से कहीं...

नई दिल्ली: सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) के मामले में विश्व बैंक ने जो ताजा तस्वीर पेश की है, उसमें भारत की रैंकिंग 5वें पायदान से खिसककर 7वें पायदान पर आने से भारत के सामने गंभीर चुनौती दिखाई दे रही है। फिलहाल ग्रोथ रेट में सुधार की कोई उम्मीद न दिखने से कहीं भारत और नीचे न खिसक जाए। देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति और सुस्त विकास दर को देखते हुए 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का मोदी सरकार का सपना भी दूर की कौड़ी प्रतीत होता है।

वित्त मंत्री का सपना अवास्तविक तो नहीं
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने आम बजट पेश करते हुए कहा था कि वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था बनने के लिए देश की विकास दर 8 प्रतिशत से ज्यादा रखनी होगी लेकिन 8 प्रतिशत विकास दर हासिल करना अत्यंत मुश्किल दिखाई दे रहा है। वैसे अर्थशास्त्रियों ने इस पर भी संदेह जताया था कि 8 प्रतिशत विकास दर से भी 5 ट्रिलियन डॉलर का आंकड़ा हासिल करना आसान नहीं होगा।

खुद सरकारी फैसले अर्थव्यवस्था पर पड़े भारी 
फॉरेन एक्सचेंज के रेट में उलट-फेर के अलावा भारत की आॢथक स्थितियों ने भी चिंताएं बढ़ाई हैं। इन चिंताओं में कुछ ऐसी हैं जो खुद सरकार के फैसलों से पैदा हुईं। जी.एस.टी. लागू होने से छोटे कारोबारियों की दिक्कतें अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हो पाईं। बीते साल नोटबंदी का भी कुछ हद तक असर खासकर अनौपचारिक अर्थव्यवस्था पर रहा। मांग की कमी के कारण प्राइवेट सैक्टर निवेश करने से लगातार बच रहा है। यह स्थिति पिछले साल भी बनी रही।

रुपए की गिरावट से भारत ने गंवाई रैंकिंग
एक सवाल यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था रैंकिंग में क्यों पिछड़ गई। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के चीफ  इकोनॉमिस्ट देवेंद्र पंत का कहना है कि यह उलट-फेर डॉलर के एक्सचेंज के कारण दिखाई दिया है। वर्ष 2017 में डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती रही थी। इसका फायदा भारत को मिला और वह आगे निकल गया। इसके विपरीत 2018 में रुपए में कमजोरी दिखाई दी। इसकी वजह से वह फिर से दो पायदान नीचे आ गया।

फिलहाल ग्रोथ रेट सुधरने वाली नहीं
ऐसा प्रतीत नहीं होता है कि आर्थिक मोर्चे पर देश की दिक्कतें पिछले साल ही खत्म हो गईं। इस साल भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। अभी हाल में कोर सैक्टर की विकास दर जून में 0.4 प्रतिशत रह गई। अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले रियल्टी और ऑटो सैक्टर की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। यही वजह है कि विकास दर अनुमान में तमाम एजैंसियां लगातार कटौती कर रही हैं। रेटिंग एजैंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ रेट का अनुमान 7.1 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है। क्रिसिल के चीफ  इकोनॉमिस्ट डी.के. जोशी का कहना है कि फिलहाल में सुधार की उम्मीद नहीं है। हाल के आर्थिक सुधारों का लाभ कुछ वर्षों के बाद ही मिल पाएगा।

फ्रांस और ब्रिटेन की जी.डी.पी. बेहतर स्थिति में
विश्व बैंक की 2018 की जी.डी.पी. रैंकिंग में भारत 2 पायदान खिसककर 5वें से 7वें पर रह गया। इसकी वजह भारत की विकास दर अनुमान से सुस्त रहना रहा है। बीते साल भारत की विकास दर 7 प्रतिशत रही। भारत की जी.डी.पी. 2.65 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2.72 ट्रिलियन डॉलर के आसपास रही। दूसरी ओर फ्रांस और ब्रिटेन की जी.डी.पी. बेहतर स्थिति में रही। ब्रिटेन की जी.डी.पी. 2.63 डॉलर से बढ़कर 2.82 ट्रिलियन डॉलर हो गई। फ्रांस की जी.डी.पी. 2.58 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2.77 ट्रिलियन डॉलर हो गई।

मामूली अंतर से ही सुधरी थी रैंकिंग
पिछले साल जी.डी.पी. के आंकड़े में मामूली फेरबदल होने से ही भारत फ्रांस से आगे निकल गया था और वह 5वें पायदान पर आ गया था। पिछले साल भारत की जी.डी.पी. जहां 2.65 ट्रिलियन डॉलर थी, वहीं फ्रांस की जी.डी.पी. 2.58 ट्रिलियन डॉलर थी। इसी तरह ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भारत से महज 20 बिलियन डॉलर पीछे। उसकी अर्थव्यवस्था पहले 2.63 ट्रिलियन डॉलर थी।

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