बदलेगी स्वर्ण मुद्रीकरण योजना!

Edited By ,Updated: 19 Mar, 2016 02:01 PM

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वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को आकर्षक बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय ने इस योजना से जुड़े सभी पक्षों की बैठक में अपनी मंशा जाहिर की।

नई दिल्लीः वित्त मंत्रालय ने कहा कि सरकार स्वर्ण मुद्रीकरण योजना को आकर्षक बनाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। नई दिल्ली में वित्त मंत्रालय ने इस योजना से जुड़े सभी पक्षों की बैठक में अपनी मंशा जाहिर की। बेकार पड़े सोने को इस्तेमाल करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पेश की गई योजना लोगों को लुभाने के लिहाज से कुछ प्रदर्शन करती नहीं दिखाई दे रही है। इस योजना के अंतर्गत अब तक सिर्फ 3 टन सोना ही जुटाया जा सका है। फरवरी के पहले हफ्ते तक यह आंकड़ा एक टन से कुछ अधिक था। इस योजना की शुरूआत पिछले साल नवंबर में की गई थी और लोगों की कम दिलचस्पी को देखते हुए जनवरी के आखिर में इस योजना में कुछ बदलाव किए गए थे। चूंकि अब भी लोग इस योजना को लेकर कुछ खास दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं ऐसे में स्पष्ट योजना में किए गए बदलाव भी काफी साबित नहीं हुए। 

 

इस बैठक के बाद आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, ''हमने परेशानियों की समीक्षा की और लोगों की राय ली। सभी पक्षों के विचारों पर गौर किया जा रहा है। लंबी अवधि में इस योजना को सफल होना चाहिए।'' मंत्रालय एक अधिकारी ने बताया कि जिन प्रमुख सुझावों पर विचार किया जा रहा है उनमें इंडियन बुलियन ऐंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आई.बी.जे.ए.) की ओर से एक सेवाप्रदाता की भूमिका निभाने और हॉलमार्किंग केंद्रों का एक विकल्प पेश करने का प्रस्ताव भी शामिल है। हॉलमार्किंग केंद्र ही सोने का संग्रह करने और शुद्घता मापने का काम करते हैं। इसके अलावा एक सुझाव बैंकों द्वारा स्वर्ण ऋण की अवधि बढ़ाने का भी मिला है। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स)ने प्रस्ताव दिया कि जीएमएस को बैंकों के समानांतर इसके प्लेटफॉर्म के दायरे में लागू किया जाना चाहिए।'

 

एनसीडीईएक्स एक इलैक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म है और यह रिफाइनरियों सहित विभिन्न पक्षों की पहचान कर सकता है जिससे योजना के अंतर्गत सोने की डिलिवरी सुनिश्चित की जा सकती है। आईबीजेए का कहना है कि आभूषणों की दुकानें संग्रह केंद्रों, सोने या आभूषणों की शुद्घता की जांच करने और एक प्रमाणपत्र जारी करने का काम कर सकती हैं और इसके बाद वे 48 घंटों के भीतर संबंधित बैंक में सोना जमा करा देंगे। एसोसिएशन का कहना है कि वह सदस्यों द्वारा किए जाने वाले संग्रह की गारंटी दे सकता है। आईबीजेए ऐसेे 1,000 केंद्रों की नियुक्ति करेगा। इंडियन एसोसिएशन ऑफ हॉलमार्किंग सेंटर्स के सचिव के आनंद कुमार का कहना है, 'बैंक त्रिपक्षीय अनुबंध करने में काफी समय लगा रहे हैं। दक्षिण में किसी भी बैंक ने जीएमएस के अंतर्गत संग्रह केंद्रों से संपर्क ही नहीं किया जबकि कई संग्रह केंद्रों ने स्वर्ण रिफाइनरियों से अनुबंध कर लिया है।' मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, 'जीएमएस में प्रस्तावित बदलाव पिछली तारीख से लागू होंगे।' शक्तिकांत दास ने कहा, 'कुछ मंदिर ट्रस्टों ने दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है।' मंदिरों को बेकार पड़े सोने जुटाने के लिहाज से मुख्य स्रोत माना जा रहा है।

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