अच्‍छा मॉनसून लाएगा खुशखबरी, कम हो सकती है भारत की सबसे बड़ी परेशानी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Jun, 2020 05:44 PM

good monsoon will bring good news india s biggest problem may be reduced

मॉनसून भारत पहुंच गया है, 1 जून को उसने केरल के तटों को छू लिया। यह देश के किसानों और खासकर सरकार के लिए बेहद राहत की खबर है। कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को जो जख्‍म दिए हैं

नई दिल्लीः मॉनसून भारत पहुंच गया है, 1 जून को उसने केरल के तटों को छू लिया। यह देश के किसानों और खासकर सरकार के लिए बेहद राहत की खबर है। कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को जो जख्‍म दिए हैं, उन्‍हें भरने में मॉनसून किसी मलहम का काम करेगा। बंपर फसल उत्‍पादन के लिए मॉनसून कितना जरूरी है, इसका अंदाजा इस‍ बात से लगाइए कि देश की आधे से ज्‍यादा खेतिहर जमीन पर यह बारिश कराता है। अर्थव्‍यवस्‍था को इससे कितना फायदा पहुंचेगा, ये तो बाद में पता चलेगा मगर असर जरूर होगा। क्‍योंकि देश के सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) का करीब 45 प्रतिशत हिस्‍सा ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था है।

ऐसे वक्‍त में जब देश आर्थ‍िक संकट से गुजर रहा है, मॉनसून की वैल्‍यू और बढ़ जाती है। लाखों लोगों की रोटी-रोटी का बंदोबस्‍त कोरोना लॉकडाउन की वजह से उजड़ गया। चार दशक से भी ज्‍यादा वक्‍त में पहली बार देश फुल-ईयर GDP ड्रॉप की तरफ बढ़ रहा है। ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था के योगदान को देखते हुए कृषि सेक्‍टर बेहद अहम है। और कृषि क्षेत्र के लिए मॉनसून अमृत की तरह है क्‍योंकि इससे खेत सीधे सींच जाते हैं और रिजर्वायर भी भरे रहते हैं। भले ही इससे भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का रुख पूरी तरह से न बदले, खाद्यान्‍न कीमतों पर इसका सकरात्‍मक असर होगा।

कोरोनावायरस के इस काल में लोग जबर्दस्त इनकम लॉस का सामना कर रहे हैं। कई नौकरियां चली गई हैं और कई पर खतरा मंडरा रहा है। कई लोगों की आर्थिक हालत इतनी खराब हो गई है कि खर्च चलाने को उन्हें पुराना सोना बेचना पड़ रहा है। लेकिन यहां कहीं घाटा न हो जाए, जानिए कैसे चूना लगाते हैं जूलर्स।

मॉनसून सही तो लहलहाती है फसल
मिनिस्‍ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज (पृथ्‍वी विज्ञान) के सचिव माधवन नायर राजीवन ने सोमवार को एक वीडियो कॉन्‍फ्रेंस में बड़ी आशाजनक बात कही। उन्‍होंने कहा कि जुलाई-सितंबर के बीच बारिश के मौसम में 102 फीसद बारिश होगी। अगर मॉनसून ने ठीक समय पर देश के अलग-अलग हिस्‍सों में बारिश की तो चावल, कपास और मक्‍के की फसलें लहलहा उठेंगी। अधिकतर फसलें सरप्‍लस होंगी जिससे दाम नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी।

मॉनसून पर निर्भर है फसलों की बुआई
देश में होने वाली 60 से 90 फीसदी बारिश मॉनसून के वक्‍त होती है। तमिलनाडु इसमें अपवाद है जहां बारिश के मौसम में साल की सिर्फ 35% बारिश ही होती है। किसान मॉनसून का इंतजार करते हैं ताकि चावल, मक्‍का, दालें, कपास और गन्‍ने जैसी फसलें बो सकें। बारिश आने में देरी या कमी का असर बुआई पर पड़ेगा और फसल उत्‍पादन पर असर पड़ेगा। इसलिए मॉनसून का सही समय पर, सही मात्रा में बारिश करना जरूरी है।

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