Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Sep, 2020 05:28 PM
वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी समर्थन उपलब्ध करा सकता है। संसद के हाल में समाप्त सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपए के कोष को मंजूरी दी गई है।
नई दिल्लीः वित्त मंत्रालय चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को पूंजी समर्थन उपलब्ध करा सकता है। संसद के हाल में समाप्त सत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपए के कोष को मंजूरी दी गई है। संसद ने 2020-21 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांग के पहले बैच के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 20,000 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। सूत्रों ने कहा कि यदि जरूरत पड़ती है कि नियामकीय पूंजी की अनिवार्यता को पूरा करने के लिए अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराई जा सकती है।
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सूत्रों ने बताया कि बैंकों के दूसरी तिमाही के नतीजों से अंदाजा लग जाएगा कि किस बैंक को नियामकीय पूंजी की जरूरत है और उसी के अनुरूप पुनर्पूंजीकरण बांड जारी किए जाएंगे। इसके अलावा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को चालू वित्त वर्ष के दौरान इक्विटी और बांड के जरिये पूंजी जुटाने को पहले ही शेयरधारकों की मंजूरी मिल चुकी है।
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उल्लेखनीय है कि सरकार ने बजट 2020-21 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी डालने को लेकर किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं जताई थी। सरकार को उम्मीद थी कि बैंक अपनी जरूरत के हिसाब से बाजार से पूंजी जुटा लेंगे। वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 70,000 करोड़ रुपए डाले थे। पिछले वित्त वर्ष में पंजाब नेशनल बैंक को सरकार से 16,091 करोड़ रुपए का निवेश मिला था। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को 11,768 करोड़ रुपए, केनरा बैंक को 6,571 करोड़ रुपए और इंडियन बैंक को 2,534 करोड़ रुपए मिले थे। इसी तरह इलाहाबाद बैंक को 2,153 करोड़ रुपए, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को 1,666 करोड़ रुपए और आंध्रा बैंक को 200 करोड़ रुपए मिले थे। इन तीनों बैंकों का अब अन्य बैंकों के साथ विलय हो चुका है।
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