Edited By rajesh kumar,Updated: 03 Sep, 2020 01:05 PM
सरकार के हाल में हथियारों और सैन्य साजोसामान के आयात पर नियंत्रण लगाने के फैसले ने घरेलू फोर्जिंग उद्योग के लिए अच्छा अवसर पैदा किए हैं। इससे इसकी उद्योग की अतिरिक्त क्षमता का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र की जरूरतों के हिसाब से किया जा सकेगा।
मुंबई: सरकार के हाल में हथियारों और सैन्य साजोसामान के आयात पर नियंत्रण लगाने के फैसले ने घरेलू फोर्जिंग उद्योग के लिए अच्छा अवसर पैदा किए हैं। इससे इसकी उद्योग की अतिरिक्त क्षमता का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र की जरूरतों के हिसाब से किया जा सकेगा।
ढलाव उद्योग के शीर्ष प्रतिनिधि संगठन ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन फोर्जिंग इंडस्ट्री’ (एआईएफआई) के मुताबिक कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन और वाहन क्षेत्र में नरमी की फोर्जिंग उद्योग पर दोहरी मार पड़ी है। अधिकतर ढलाव इकाइयों के अगले छह महीने तक अपनी स्थापित क्षमता के मात्र 50 प्रतिशत पर ही काम करने की संभावना है।
एआईएफआई के अध्यक्ष एस. मुरलीशंकर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘इस अतिरिक्त क्षमता का उपयोग रक्षा क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने में किया जा सकता है। इसके अलावा कई वाहन कंपनियां इत्याद चीन से अपना आयात बंद करने पर विचार कर रही हैं। इससे भी हमें अपनी क्षमता का उपयोग करने में मदद मिलेगी।’
फार्जिंग उद्योग को अपना करीब 80 प्रतिशत ऑर्डर वाहन क्षेत्र से मिलता है। वाहन उत्पादन में 2019-20 के दौरान 14.71 प्रतिशत की गिरावट रही और कुल 2.63 करोड़ इकाइयों का उत्पादन हुआ। जबकि 2018-19 में 3.09 करोड़ वाहनों का उत्पादन हुआ था। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वाहनों का उत्पादन 79.3 प्रतिशत गिरकर 14,86,694 इकाई रह गया। यह 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में 72,13,045 इकाई था।