सरकार ने इन 4 सरकारी बैंकों में हिस्सा बेचने की प्रक्रिया तेज की

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Aug, 2020 05:44 PM

government accelerates the process of selling shares in these

केंद्र सरकार जल्द ही पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक, आईडीबीआई और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस वित्त वर्ष में ही इन

नई दिल्लीः केंद्र सरकार जल्द ही पंजाब एंड सिंध बैंक, यूको बैंक, आईडीबीआई और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है। इसके लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे इस वित्त वर्ष में ही इन चारों सरकारी बैंकों में केंद्र की हिस्सेदारी कम करने के लिए तेजी से कदम उठाएं। इस मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि इन चारों बैंकों में केंद्र सरकार मेजर स्टेकहोल्डर है और विनिवेश (Disinvestment) के जरिए अपनी हिस्सेदारी बेचने का योजना बना रही है।

अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार कोराना वायरस महामारी के कारण टैक्स कलेक्शन में गिरावट के बीच बजट के लिए धन जुटाने के मकसद से बैंकों और अन्य सरकारी कंपनियों के प्राइवेटाइजेशन पर जोर दे रही है। साथ ही सरकार बैंकिंग सेक्टर में भी सुधार लाना चाहती है। इसके लिए PMO ने इस महीने की शुरुआत में वित्त मंत्रालय (Finance ministry) को एक चिट्ठी लिखकर निजीकरण का प्रक्रिया में तेजी लाने का सुझाव दिया था। 

सरकार का लक्ष्य मार्च, 2021 से पहले विनिवेश के जरिये बैंकों का प्राइवेटाइजेशन करने का है, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। हालांकि, इस विषय पर अभी न तो PMO और न ही बैंकों की कोई आधिकारिक बयान सामने आया है। वित्त मंत्रालय ने भी इस मुद्दे पर अभी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।

इससे पहले एक रिपोर्ट आई थी कि बैंकिंग सेक्टर में सुधार के लिए केंद्र सरकार आधे से अधिक सरकारी बैंकों का निजीकरण करना चाहती है। आईडीबीआई बैंक के अलावा भारत में अभी एक दर्जन से अधिक सरकारी बैंक हैं। आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 47.11% है। वहीं, सरकार की स्वामित्व वाली बेहेमोथ लाइफ इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (behemoth Life Insurance Corp) की हिस्सेदारी 51 फीसदी है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार द्वारा बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचने के पीछे का कारण बैड लोन (Bad loans) में बढ़ोतरी होना है।

अगर सरकार अपनी हिस्सेदारी नहीं बेचती है तो उसे इन बैंकों के बेलआउट के लिए फंड मुहैया कराने होंगे। इस मामले से जुड़े अधिकारी ने कहा कि महामारी के कारण बाजार के हालात को देखते हुए सरकार के लिए इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी कम करना बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। सरकार महामारी के बीच सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक है। वहीं, कुछ अधिकारियों ने सलाह दी है कि निजीकरण से पहले सरकार इन बैंकों का पुनर्गठन करे, ताकि सरप्लस कर्मचारियों को स्वैच्छिक रिटायरमेंट देकर घाटे को कम किया जा सके। साथ ही नुकसान उठा रहे घरेलू और विदेशी शाखाओं को बंद करके घाटे को कम करने का प्रयास करे।
 

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