Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Mar, 2020 11:52 AM
देश की बड़ी पेट्रोलियम कंपनी बीपीसीएल को बेचने के लिए सरकार ने बोलियां मंगाई हैं। सरकार कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। मौजूदा समय में सरकार की कंपनी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है। आपको बता दें कि बीपीसीएल के पास 15,177 पेट्रोल पंप और...
नई दिल्लीः देश की बड़ी पेट्रोलियम कंपनी बीपीसीएल को बेचने के लिए सरकार ने बोलियां मंगाई हैं। सरकार कंपनी में अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाहती है। मौजूदा समय में सरकार की कंपनी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी है। आपको बता दें कि बीपीसीएल के पास 15,177 पेट्रोल पंप और 6,011 एलपीजी डिस्ट्रीब्यूशन एजेंसियां हैं। साथ ही इसके पास 51 पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) बॉटलिंग संयंत्र भी हैं। 20 नवंबर, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बीपीसीएल के निजीकरण का फैसला किया था। इसके तहत बीपीसीएल में सरकार अपनी पूरी 52.98 फीसदी हिस्सेदारी और मैनेजमेंट कंट्रोल बेचना चाहती है।
डीआईपीएएम ने बोली दस्तावेज में कहा कि बीपीसीएल की स्ट्रैटेजिक बिक्री के लिए दो मई को रुचि पत्र जारी किया था। इसमें कहा गया, भारत सरकार बीपीसीएल में अपने 114.91 करोड़ इक्विटी शेयर यानी बीपीसीएल की इक्विटी शेयर पूंजी में से कुल 52.98 प्रतिशत साझेदारी के स्ट्रैटेजिक निवेश के साथ ही प्रंबधन नियंत्रण को रणनीतिक खरीदार का प्रस्ताव दे रही है। सरकार ने रणनीतिक विनिवेश प्रक्रिया के प्रबंधन और इस विषय पर सलाह देने के लिए डेलोइट टोशे टोमात्सु इंडिया एलएलपी को अपने सलाहकार के रूप में अनुबंधित किया है।
सरकार को BPCL बेचकर मिल सकते हैं 54 हजार करोड़ रुपए
बीपीसीएल का मार्केट कैपिटलाइजेशन इस समय 1.03 लाख करोड़ रुपए के करीब है। इस प्राइस के आधार पर सरकार की हिस्सेदारी 54 हजार करोड़ रुपए के करीब है यानी बीपीसीएल में हिस्सेदारी की बिक्री से सरकार को 54 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।