मुखौटा कंपनियों के बाद LLP फर्मों पर नकेल कसेगी सरकार

Edited By Supreet Kaur,Updated: 18 Jul, 2018 11:19 AM

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मुखौटा कंपनियों को बंद करने के बाद सरकार अब सीमित दायित्व साझेदारी (एलएलपी) वाली फर्मों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। एक अधिकारी ने कहा कि लगातार दो साल से सालाना रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली 7,775 एलएपी फर्मों को नोटिस भेजे गए हैं।

बिजनेस डेस्कः मुखौटा कंपनियों को बंद करने के बाद सरकार अब सीमित दायित्व साझेदारी (एलएलपी) वाली फर्मों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। एक अधिकारी ने कहा कि लगातार दो साल से सालाना रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली 7,775 एलएपी फर्मों को नोटिस भेजे गए हैं।

हजारों कंपनियों का पंजीकरण रद्द
संबंधित क्षेत्रों में कंपनी पंजीयक भी कोई कारोबार नहीं करने वाली एलएलपी का पंजीकरण रद्द कर रहे हैं। हाल ही में मुंबई में कंपनी पंजीयक ने 1700 से ज्यादा ऐसी कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया है। इसी तरह दिल्ली में 1100 कंपनियों का पंजीयन रद्द किया गया है। कंपनी पंजीयक जनवरी 2018 से ही निदेशक पहचान क्रमांक (डीआईएन) भी जारी नहीं कर रहा है। कंपनी कानून, 2013 के तहत किसी कंपनी या एलएलपी को पंजीकरण कराने के लिए डीआईएल जरूरी होती है। कंपनी (संशोधन) अधिनियम, 2006 में धारा 266ए से 266जी को शामिल कर डीआईएल की अवधारणा को पहली बार लागू की गई थी।

क्या है LLP
विशेषज्ञों का कहना है कि इससे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के प्रवाह पर असर पड़ेगा क्योंकि कई विदेशी फर्में भारत में एलएलपी खोलना चाहती हैं। एलएलपी ऐसी कंपनी होती है जिनमें कंपनी के प्रत्येक कदम के लिए साझेदार हमेशा जिम्मेदार नहीं होते हैं यानी साझेदारों की जिम्मेदारी अपेक्षाकृत सीमित होती है। इसी तरह सरकार मुखौटा कंपनियों को बंद करने पर काम कर रही हैं क्योंकि इसकी आशंका जताई जा रही है कि कुछ बड़े कॉरपोरेट्स इसके जरिए धनशोधन करते हैं।

सरकार ने भेजे नोटिस
इस मामले में सरकार ऐसी कंपनियों को खंगाल रही है जो दो या उससे अधिक समय से रिटर्न दाखिल नहीं कर रही हैं। उन्हें नोटिस भेजा गया है और फिर उनका पंजीकरण रद्द किया जा रहा है। 226,000 कंपनियों की पहली सूची में से 225,000 से ज्यादा कंपनियों को नोटिस भेजे गए हैं। पहली सूची के तहत तीन लाख से ज्यादा निदेशकों को अयोग्य करार दिया गया था, जिनमें से बाद में जरूरी जानकारी मुहैया कराने के बाद 30,000 की अपात्रता रद्द कर दी गई। ये 30,000 निदेशक किसी मुखौटा कंपनी के निदेशक नहीं थे।
 

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