सरकार ने विभिन्न निर्यात संवद्र्धन योजना के तहत आईजीएसटी, मुआवजा उपकर की छूट की अवधि बढ़ाई

Edited By Yaspal,Updated: 22 Mar, 2019 04:15 PM

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चुनाव से पहले सरकार ने निर्यातकों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने विभिन्न निर्यात संवद्र्धन योजनाओं के तहत वस्तुओं की खरीद पर एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) तथा मुआवजा उपकर की छूट की अवधि मार्च, 2020 तक बढ़ा दी है।  ये रियायतें उन निर्यात....

नई दिल्ली:चुनाव से पहले सरकार ने निर्यातकों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने विभिन्न निर्यात संवद्र्धन योजनाओं के तहत वस्तुओं की खरीद पर एकीकृत माल एवं सेवा कर (आईजीएसटी) तथा मुआवजा उपकर की छूट की अवधि मार्च, 2020 तक बढ़ा दी है।  ये रियायतें उन निर्यातकों के लिए बढ़ाई गई हैं जो निर्यातोन्मुख इकाई (ईओयू) योजना, निर्यात संवद्र्धन पूंजीगत सामान (ईपीसीजी) योजना तथा एडवांस आथराइजेशन के तहत घरेलू स्तर पर सामान खरीद रहे हैं या निर्यात के उद्देश्य से उनका आयात कर रहे हैं।  

इन एक्सपोर्टर्स को मिलेगी छूट
एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट (ईओयू) स्कीम, एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (ईपीसीजी) स्कीम और अग्रिम अधिकार के अंतर्गत घरेलू स्तर पर कच्चा माल खरीदने या निर्यात के उद्देश्य से आयात करने वाले एक्सपोर्टर्स को ही यह छूट दी गई है।

इन योजनाओं में मिलेगें फायदें
ईपीसीजी निर्यात संवद्र्धन की एक योजना है जिसके तहत निर्यातक शून्य शुल्क पर कुछ पूंजीगत सामान का आयात कर सकता है, जिसका इस्तेमाल निर्यात से जुड़ी प्रौद्योगिकी के उन्नयन के लिए किया जाता है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना जारी कर कहा कि इन योजनाओं के तहत छूट की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2020 किया जा रहा है। 

31 मार्च, 2020 तक के लिए बढ़ाई छूट
एक नोटिफिकेशन में डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (डीजीएफटी) ने कहा कि फॉरेन ट्रेड पॉलिसी 2015-20 की ऑथराइजेशन स्कीम, ईओयू और ईपीसीजी आईजीएसटी और कम्पन्सेशन सेस से छूट को 31 मार्च, 2020 तक के लिए एक्सटेंड कर दिया गया है।

आयात-निर्यात की यह है स्थिति
चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-फरवरी के दौरान निर्यात 8.85 फीसदी बढ़कर 298.47 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जबकि आयात 9.75 फीसदी बढ़कर 464 अरब डॉलर हो गया। वहीं वित्त वर्ष के 11 महीनों के दौरान ट्रेड डेफिसिट बढ़कर 165.52 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया, जबकि एक साल पहले की समान अवधि के दौरान यह आंकड़ा 148.55 अरब डॉलर रहा था।

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