Edited By Pardeep,Updated: 06 Feb, 2021 10:21 PM
सरकार ग्रामीण क्षेत्र की गरीब आबादी को लाभ पहुंचाने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को इसकी...
नई दिल्लीः सरकार ग्रामीण क्षेत्र की गरीब आबादी को लाभ पहुंचाने के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। अभी लगभग 6.5 करोड़ एमएसएमई जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं। मंत्री ने जोर दिया कि गरीबों को सशक्त बनाने के लिए एक नीति बनाई जानी चाहिए।
केंद्रीय एमएसएमई मंत्री ने कहा, ‘‘हम पश्चिमीकरण के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन हम गांवों में आधुनिकीकरण के पक्ष में हैं। यह सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का समय है।'' एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के अनुकूल शोध आधारित प्रौद्योगिकियों व नवोन्मेष के माध्यम से इन क्षेत्रों में स्थायी परिवर्तन लाने का आह्वान किया।
महाराष्ट्र के वर्धा में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए मंत्री ने बताया कि ग्रामोद्योग और खादी सालाना आधार पर 88 हजार करोड़ रुपए का उत्पादन करते हैं। यदि नीति लचीली और नवाचारी हो, इसे बढ़ाया जा सकता है। महात्मा गांधी, विनोबा भावे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण के दर्शन को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य एक ही था ‘गांवों में रहने वाले गरीबों के जीवन को बेहतर बनाना'। जब तक यह सुनिश्चित नहीं किया जाता है कि गांवों में रोजगार पैदा हो, इन नेताओं के सपने पूरे नहीं होंगे।