मुर्गीपालक किसानों को कम कीमत मिलने के मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है : बालियान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Jun, 2022 06:10 PM

government may have to intervene in case of low price for

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान ने बुधवार को मुर्गीपालक (पॉल्ट्री) किसानों को कम कीमत मिलने पर चिंता जताते हुए निजी कंपनियों को आगाह किया कि इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।

नई दिल्लीः केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री संजीव बालियान ने बुधवार को मुर्गीपालक (पॉल्ट्री) किसानों को कम कीमत मिलने पर चिंता जताते हुए निजी कंपनियों को आगाह किया कि इस मामले में सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है। मंत्री ने भी अपने विभाग को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जल्द ही सभी अंशधारकों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया।

बालियान ने गुजरात के बाहर एक सहकारी संस्था स्थापित करने में विफल रहने पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की भी खिंचाई की। एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बालियान ने कहा, ‘‘अगर छोटे पॉल्ट्री किसानों का शोषण किया जाता है तो हमें (भारत सरकार) हस्तक्षेप करना होगा। कंपनियों के साथ पॉल्ट्री किसानों के बाजार एकीकरण के मसले पर ध्यान देने की जरूरत है।’’

निजी कंपनियों के साथ ब्रॉयलर खेती का अनुबंध करने वाले मुर्गीपालक किसानों को कम लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि लुधियाना स्थित गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी के वर्ष 2005 के एक अध्ययन में भी पाया गया है कि पॉल्ट्री किसानों को उत्पादन लागत से काफी कम राशि का भुगतान किया गया था। उन्होंने कहा कि जहां एक किसान की कुल लागत 11.15 रुपए प्रति किलोग्राम थी, वहीं उन्हें वापसी केवल 6.41 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिली। जिससे किसानों को 4.75 रुपये प्रति किलोग्राम का नुकसान हुआ। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या निजी कंपनियां ‘ईस्ट इंडिया’ कंपनी की तरह काम करना चाहती हैं। 

मंत्री ने कहा कि खराब बाजार एकीकरण और कम कीमत की प्राप्ति के चलते पिछले दस साल में एक भी सफल ‘पॉल्ट्री फार्म’ सामने नहीं आया है। बालियान ने अपने विभाग के सचिव को इस मुद्दे को हल करने और बेहतर बाजार एकीकरण सुनिश्चित करने के लिए सभी अंशधारकों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि एनडीडीबी को पूरी तरह से गुजरात के बाहर अमूल मॉडल का अनुकरण करने के लिए स्थापित किया गया था। बोर्ड कुछ जगहों पर सफल तो हुआ, लेकिन उसे अमूल जैसी सफलता नहीं मिली।

उन्होंने कहा कि इसके अलावा अमूल उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे उत्तर भारत के राज्यों से दूध खरीदती है, लेकिन उसके द्वारा वे सेवाएं प्रदान नहीं की जा रही हैं जो गुजरात के डेयरी किसानों को दी गई थीं। उन्होंने कहा, ‘‘आप उत्तर प्रदेश और हरियाणा से दूध खरीदते हैं और आप हमारे डेयरी किसानों को क्या वापस देते हैं? मुझे एनडीडीबी, अमूल और पशुपालन सचिव से जवाब चाहिए। उत्तर प्रदेश हो या हरियाणा, गुजरात के किसानों को दी जाने वाली सेवाएं उन्हें भी मिलनी चाहिए।’’ उन्होंने डेयरी वैज्ञानिकों से पॉल्ट्री और मुर्गीचारा कम कीमत पर उपलब्ध कराने के लिए एक समाधान निकालने का भी आग्रह किया। 

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने कहा कि डेयरी क्षेत्र आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और सरकार इस क्षेत्र को और मजबूत करने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है। इस आयोजन में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्यमंत्री एल मुरुगन, पशुपालन और डेयरी सचिव अतुल चतुर्वेदी, एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनेश शाह, बनासकंठ जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ के प्रबंध निदेशक संग्राम चौधरी और आईटीसी डेयरी एंड बेवरेज के प्रमुख संजय सिंघल भी मौजूद थे।
 

 

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