मोदी सरकार फिर आसान करेगी FDI नियम, चीन को भी होगा फायदा!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Nov, 2020 06:24 PM

government mulls easing investment rules from neighbours

भारत सरकार आने वाले दिनों में पड़ोसी देशों से 26 फीसदी तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को ऑटोमेटिक रूट के जरिए मंजूरी दे सकती है, जिनमें चीन और हॉन्गकॉन्ग भी शामिल होंगे। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक एफडीआई

बिजनेस डेस्कः भारत सरकार आने वाले दिनों में पड़ोसी देशों से 26 फीसदी तक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को ऑटोमेटिक रूट के जरिए मंजूरी दे सकती है, जिनमें चीन और हॉन्गकॉन्ग भी शामिल होंगे। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक एफडीआई के नियमों को आसान बनाने की दिशा में सरकार तमाम विकल्पों को ध्यान में रखते हुए चर्चा कर रही है और जल्द ही सरकार की तरफ से इसे लेकर कोई अहम फैसला सुनाया जा सकता है।

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अधर में लटकी हैं 100 से ज्यादा डील
मोदी सरकार के इस अहम फैसले से 100 से भी अधिक प्रस्तावों को तेजी मिलेगी, जो इसी साल अप्रैल में एफडीआई के नियम सख्त करने की वजह से अधर में लटके हुए हैं। अप्रैल में सरकार ने एफडीआई के नियमों को सख्त करते हुए पड़ोसी देशों से आने वाली हर एफडीआई को सरकार के मंजूरी लेने का नियम बना दिया था, भले ही वह एफडीआई कितनी भी छोटी या बड़ी हो।

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सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 25% एफडीआई सीमा!
एक अधिकारी के अनुसार एफडीआई की सीमा 25 फीसदी तय की गई है लेकिन सरकार को ये सुझाव दिए जा रहे हैं कि इसे बढ़ाकर 26 फीसदी किया जाए। कुछ अधिकारियों का कहना है कि सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 25 फीसदी की सीमा तय की गई है। हालांकि, कुछ अन्य सेक्टर्स के लिए ये सीमा 26 फीसदी या कुछ अलग हो सकती है। सरकार एफडीआई के नियमों को आसान करना चाहती है, क्योंकि इससे भारत को भी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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ईज ऑफ डूइंग को हो रहा नुकसान
अभी एफडीआई के नियम सख्त होने की वजह से कुछ अमेरिकन और यूरोपियन कंपनियों के साथ हो रही डील भी अधर में लटकी है, क्योंकि उनमें चीन या फिर हॉन्गकॉन्ग की कंपनियों या इंडिविजुअल ने थोड़ा बहुत निवेश किया हुआ है। ऐसे में पॉलिसीमेकर्स का कहना है कि सख्त नियमों की वजह से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि भारत विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की कोशिश में है।


 

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