चीनी हुई कड़वी, सरकार की चिंता बढ़ी

Edited By ,Updated: 21 Jan, 2017 01:22 PM

government raised concerns due to sugar prices

चीनी दाम बढऩे से कड़वी हो गई है। शादियों का सीजन शुरू होने जा रहा है।

नई दिल्ली: चीनी दाम बढऩे से कड़वी हो गई है। शादियों का सीजन शुरू होने जा रहा है। ऐसे में अगर चीनी के दाम अभी से 40 रुपए के ऊपर जाते दिख रहे हों तो यह सरकार के लिए चिंता की बात हो सकती है। अगर भाव 40 रुपए के नीचे स्थिर नहीं हुए तो सरकार भाव नीचे लाने के लिए कदम उठा सकती है। चीनी की थोक कीमतें 7 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। चीनी के प्रमुख उत्पादक महाराष्ट्र में कीमतों ने 40 रुपए प्रति किलो के स्तर को छुआ है। इसके ऊपर दाम जाने पर केन्द्र सरकार कार्रवाई कर सकती है। पिछली बार जनवरी, 2010 में चीनी के दाम 40 रुपए प्रति किलो के स्तर पर पहुंचे थे।

जमाखोरी के चलते दाम नहीं बढ़े
केन्द्र सरकार ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि वह चीनी की कीमतें 40 रुपए प्रति किलो से ऊपर नहीं जाने देना चाहती। इसके दाम पिछले दिनों इस लैवल पर पहुंच गए थे जब महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में ध्यानेश्वर सहकारी शक्कर कारखाने ने शूगर बेची। हालांकि बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होने वाली थोड़े कम ग्रेड की चीनी 40 रुपए किलो के आसपास ही मिल रही है। इंडस्ट्री एक्सपटर्स का कहना है कि जमाखोरी के चलते चीनी के दाम नहीं बढ़े हैं। उनके मुताबिक इसकी बुनियादी वजहें हैं। ध्यानेश्वर कारखाने में गन्ने की पिराई 49 दिनों में ही बंद हो गई थी। यह करीब 40 साल पहले मिल शुरू होने के बाद से सबसे छोटा सीजन है। मुम्बई में होलसेल सैट्स लगभग मिल रेट्स के बराबर ही हैं क्योंकि ज्यादातर बिक्री प्रॉफिट बुकिंग के लिए हो रही है।

दखल देगी सरकार 
दरअसल बढ़ती कीमतों पर काबू के लिए सरकार ने दखल देने का संकेत दिया है। पिछले 3 महीने के दौरान चीनी की बेहद चौंकाने वाली चाल रही है। नोटबंदी की वजह से अक्तूबर से दिसम्बर के दौरान चीनी की बिक्री करीब 8 प्रतिशत कम रही। इस दौरान चीनी का दाम करीब 15 प्रतिशत बढ़ गया। हालांकि उत्पादन में 5.5 प्रतिशत की गिरावट जरूर देखी गई है जबकि इसके सामने दाम करीब 15 प्रतिशत बढ़कर 7 साल के रिकॉर्ड स्तर पर चले गए। इससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि ग्लोबल मार्कीट में अक्तूबर के बाद से चीनी के दाम करीब 12 प्रतिशत आए हैं जबकि घरेलू बाजार में तेजी का रुख रहा।

चीनी मिलों को सरकार की चेतावनी
लगातार बढ़ती चीनी की कीमतों पर मिलों को सरकार ने फटकार लगाई है। पहले तो सरकार ने मिलों को बुलाया और खरी-खोटी सुनाकर यह चेतावनी दी है कि तेजी के खेल में मिलें शामिल न हों। सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि चुनाव आचार संहिता की आड़ में चीनी का दाम बढ़ाने का खेल चल रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है और सरकार इस पर कोई भी कदम उठा सकती है। सरकार की इस चेतावनी के बाद भारतीय चीनी मिल संघ ने मिलों को चिठ्ठी लिखकर सुझाव दिया है कि वे इस तरह की सट्टेबाजी में शामिल न हों। बाद में भारतीय चीनी मिल संघ ने अपने पत्र में कहा है कि चीनी मिलें दाम बढ़ाकर चीनी बेचने से बचें। वे किसी भी तरह की तेजी के खेल में शामिल न हों।

दाम बढ़ने से कारोबारी चिंतित
बॉम्बे शूगर मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक जैन का कहना है कि एक पखवाड़े के भीतर चीनी की कीमतों में करीब 3-5 रुपए प्रति किलो की बढ़ौतरी हुई है। व्यापारियों ने दावा किया कि वे इससे चिंतित हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक देश में चीनी की खुदरा कीमतें 36.47 रुपए प्रति किलो की रेंज में रहीं। चीनी उद्योग को लंबे वक्त के बाद पिछले साल कुछ राहत मिली। चीनी के दाम बढऩे पर कच्ची चीनी विदेश से मंगवाने की इजाजत दी जाती है जिसे प्रोसैस करके घरेलू बाजार में बेचा जाता है।

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