Edited By Punjab Kesari,Updated: 03 Jan, 2018 02:21 PM
आम आदमी को आने वाले दिनों में महंगी दालें खरीदनी पड़ सकती हैं, क्योंकि इसके लिए शीर्ष स्तर पर कुछ बड़े फैसले लिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। सरकार चाहती है कि घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में इजाफा हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि रबी मौसम में बोए गए चने...
नई दिल्लीः आम आदमी को आने वाले दिनों में महंगी दालें खरीदनी पड़ सकती हैं, क्योंकि इसके लिए शीर्ष स्तर पर कुछ बड़े फैसले लिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। सरकार चाहती है कि घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में इजाफा हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि रबी मौसम में बोए गए चने और मसूर की फसल जब तैयार हो, तो किसानों को बाजार में कम से कम सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एम.एस.पी.) के बराबर कीमत तो मिल जाए।
अयात शुल्क बढ़ोतरी का असर नहीं
केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि एक जनवरी, 2018 को देश में 16.97 लाख टन दालों का बफर स्टॉक था। इस समय रबी मौसम में चने और मसूर की फसल खेतों में है। इसके अलावा कर्नाटक, बिहार, झारखंड समेत कई राज्यों में अरहर की फसल तैयार होने वाली है। अगले दो महीने में ये फसलें बाजार में आ जाएंगी। घरेलू बाजार में दालों की कीमत में तेजी लाने के लिए सरकार ने कुछ महीने पहले अरहर, मूंग और उड़द के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगाया था, लेकिन उसका असर कोई खास नहीं दिखा। इसके बाद बीते 21 दिसंबर को चना एवं मसूर के आयात पर शुल्क 10 फीसदी से बढ़ा कर 30 फीसदी कर दिया गया। इससे पहले पीली मटर के आयात पर शुल्क 50 फीसदी किया जा चुका है। इसका असर भी बाजार में ज्यादा दिन तक नहीं दिखा।
चना, मसूर का रकबा बढ़ा
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि सरकार के प्रयासों से इस बार रबी मौसम में चने और मसूर की फसल के रकबे में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। बुवाई के अद्यतन आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक करीब 99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चने की बुवाई हुई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 10 लाख हेक्टेयर ज्यादा है। इसी तरह करीब 16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मसूर की बुवाई हुई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी है।