सरकार को विदेशी बाजारों से केवल दीर्षकालिक ऋण ही उठाना चाहिएः जालान

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Aug, 2019 10:31 AM

government should only take long term loans from foreign markets jalan

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने मंगलवार को कहा कि सरकार को विदेशी बाजारों से केवल दीर्घकालिक कोष ही जुटाना चाहिए और यह राशि किसी भी स्थिति में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए।

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने मंगलवार को कहा कि सरकार को विदेशी बाजारों से केवल दीर्घकालिक कोष ही जुटाना चाहिए और यह राशि किसी भी स्थिति में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 1.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होने चाहिए।

जालान ने अपनी पुस्तक ‘रिसर्जेंट इंडिया' के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘‘यदि आप (सरकार) विदेशी बाजारों से धन उठाना चाहते हैं तो केवल दीर्घकालिक कोष ही जुटाएं और विदेशी बाजारों से जुटाई जाने वाली ऐसी राशि किसी भी परिस्थिति में सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।'' जालान ने कहा कि विदेशी बाजारों से सरकार द्वारा पूंजी जुटाये जाने को लेकर उनके नकारात्मक विचार नहीं है लेकिन उनका मानना है कि भारत को विदेशी बाजारों से धन जुटाने की जरूरत नहीं है। सरकार ने इस साल के बजट में विदेशी बाजारों से धन जुटाने की घोषणा की है। 

सरकार ने कहा है कि वह अपने कुल उधारी कार्यक्रम का एक हिस्सा विदेशी बाजारों से जुटायेगी। भारत सरकार का विदेशी रिण उसकी जीडीपी के मुकाबले दुनिया के विभिन्न देशों में सबसे कम पांच प्रतिशत से भी नीचे है। एक सवाल के जवाब में जालान ने कहा कि रिजर्व बेंक की आर्थिक पूंजी रूपरेखा के बारे में सुझाव देने वाली समिति की एक और बैठक होगी जिसमें रिपोर्ट को अंतिम को दिया जाएगा। जालान की अध्यक्षता वाली इस छह सदस्यीय समिति को 26 दिसंबर 2018 को नियुक्त किया गया था। इसे रिजर्व बेंक के अधिशेष आरक्षित कोष के उपयुक्त स्तर के बारे में अपनी रिपोर्ट देनी है।

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