Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Feb, 2018 05:40 AM
भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) ने पंजाब नैशनल बैंक घोटाले के परिप्रेक्ष्य में सरकार से आग्रह किया है कि वह बैंकों में जारी अनियमितता को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 33 प्रतिशत करे। सी.आई.आई. ने साथ ही यह भी...
नई दिल्ली: भारतीय उद्योग परिसंघ (सी.आई.आई.) ने पंजाब नैशनल बैंक घोटाले के परिप्रेक्ष्य में सरकार से आग्रह किया है कि वह बैंकों में जारी अनियमितता को रोकने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 33 प्रतिशत करे। सी.आई.आई. ने साथ ही यह भी कहा है कि इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए खासकर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में, प्रौद्योगिकी और बेहतर निरीक्षण की भी जरूरत है।
सी.आई.आई. ने जहां सरकारी हिस्सेदारी घटाने की बात की है वहीं एसोचैम और फिक्की समेत कई उद्योग संगठनों ने सरकारी बैंकों के निजीकरण की सलाह दी है। हालांकि, वित्त मंत्री अरुण जेतली ने सरकारी बैंकों के निजीकरण की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि फिलहाल देश की राजनीतिक सोच इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वृहद राजनीतिक सहमति की जरूरत है और इसके लिए कानून में बदलाव भी करने होंगे जो काफी चुनौतीपूर्ण फैसला होगा।
सी.आई.आई. के मुताबिक सरकार, नियामकों और उद्योग जगत को वित्त क्षेत्र के प्रणालीगत जोखिमों से निपटने के लिए त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। बैंकिंग क्षेत्र के लिए बेहतर प्रबंधन और संचालन क्षमता, प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल और सरकारी बैंकों में सरकार की शेयरधारिता कम करना जरूरी है।