Edited By Supreet Kaur,Updated: 30 Oct, 2019 11:26 AM
गुडविन ग्रुप का मामला सामने आने के बाद सरकार लोगों को धोखाधड़ी से बचाने की कोशिश में जुट गई है। उसने जूलर्स की गोल्ड सेविंग स्कीमों के लिए रेगुलेटर बनाने पर विचार शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, जूलर्स की तरफ से ऑफर की जा रहीं सेविंग स्कीमों की...
नई दिल्लीः गुडविन ग्रुप का मामला सामने आने के बाद सरकार लोगों को धोखाधड़ी से बचाने की कोशिश में जुट गई है। उसने जूलर्स की गोल्ड सेविंग स्कीमों के लिए रेगुलेटर बनाने पर विचार शुरू कर दिया है। सूत्रों के अनुसार, जूलर्स की तरफ से ऑफर की जा रहीं सेविंग स्कीमों की समीक्षा की जा रही है।
सरकार की कोशिश
एक अधिकारी के अनुसार, जूलर्स की तरफ से चलाई जा रहीं गोल्ड सेविंग स्कीम्स के लिए सरकार ने वैसे तो नियम बना रखे हैं, लेकिन इन नियमों की धज्जियां धड़ल्ले से उड़ाई जा रहीं। ऐसे में लोग जूलर्स के झांसे में आकर ठग लिए जाते हैं। ऐसा होने पर धोखाधड़ी का मामला बनता है, मगर नियमों की अनदेखी करने पर जूलर्स के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है।
निवेशकों के पैसे की गारंटी
गोल्ड सेविंग स्कीम में इस बात का कोई प्रावधान नहीं है, जिससे निवेशकों के धन की सुरक्षा की गारंटी हो। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए इन स्कीमों को रेगुलेटर के दायरे में लाना जरूरी है। रेगुलेटर के दायरे में आने से जूलर्स के लिए ऐसी स्कीमों के नीति-नियम तय हो सकेंगे। जितना धन वे निवेशकों से लेंगे, उतनी राशि का गोल्ड उन्हें रेगेलुटर के पास रखना होगा। ऐसे में अगर कोई जूलर्स डिफॉल्ट हो जाएगा तो उसके रखे गोल्ड को बेचकर निवेशकों को पैसा लौटाया जा सकेगा।