जॉब्स का 'गिफ्ट' देगी मोदी सरकार, बजट में इंसेंटिव्स का हो सकता है ऐलान

Edited By ,Updated: 27 Jan, 2017 11:18 AM

government wil gift jobs  incentives could be announced in the budget

मोदी सरकार हर साल वर्कफोर्स में शामिल होने की कतार में लगने वाले लाखों युवाओं के लिए रोजगार के मौके पैदा करने के एक बड़े पैकेज पर विचार कर रही है।

नई दिल्लीः मोदी सरकार हर साल वर्कफोर्स में शामिल होने की कतार में लगने वाले लाखों युवाओं के लिए रोजगार के मौके पैदा करने के एक बड़े पैकेज पर विचार कर रही है। इसके तहत ज्यादा श्रम शक्ति वाले सेक्टरों में रोजगार के मौके बनाने के लिए इंसेंटिव्स दिए जा सकते हैं। 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट की प्रमुख घोषणाओं में इसे शामिल किया जा सकता है। साथ ही, कोस्टल एंप्लॉयमेंट जोन बनाने की योजना पर भी विचार हो रहा है, जिसमें टैक्स इंसेंटिव्स को जॉब क्रिऐशन से जोड़ दिया जाएगा।

इन सेक्टरों में मिलेंगे रोजगार के मौके
सरकार लेदर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और जेम्स ऐंड जूलरी जैसे सेक्टरों को रोजगार के मौके बनाने के लिए उसी तर्ज पर इंसेंटिव्स देने पर विचार कर रही है, जिस तरह पिछले साल टेक्सटाइल्स सेक्टर के लिए शुरू किए गए थे। एक सीनियर गवर्नमेंट ऑफिशल ने बताया, 'सरकार पर रोजगार के अवसर बनाने की रफ्तार बढ़ाने का दबाव है क्योंकि कई प्रयासों के बावजूद तमाम सेक्टरों में जॉब्स के ज्यादा मौके नहीं मिल रहे हैं।' अधिकारी ने बताया कि कई मंत्रालयों ने अपने सेक्टरों में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं बनने पर चिंता जताई है।

77% परिवारों के पास आय का साधन नहीं
भारत में हर साल जॉब मार्कीट में करीब 1.2 करोड़ लोग आते हैं और आबादी में 65 पर्सेंट से ज्यादा लोगों की उम्र 35 साल से कम है। इस स्थिति के दम पर भारत दुनिया में मानव संसाधन का बड़ा केंद्र बन सकता है। सितंबर 2016 में सरकार ने पांचवां सालाना रोजगार-बेरोजगारी सर्वे जारी किया था। उसके मुताबिक, करीब 77 पर्सेंट परिवारों में या कोई सैलरीड मेंबर नहीं है या उनके पास आय का कोई नियमित जरिया नहीं है।

ओवरटाइम की अवधि बढ़ाई जाए
लेबर मिनिस्ट्री ने प्रस्ताव दिया है कि ज्यादा श्रम शक्ति की जरूरत वाले सभी सेक्टरों को फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का विकल्प दिया जाए, प्रॉविडेंट फंड में उनके अंशदान की जरूरत खत्म कर दी जाए और ओवरटाइम की अवधि बढ़ाई जाए। मिनिस्ट्री ने कहा है कि इन सेक्टरों में 15,000 रुपए महीने से कम पाने वाले वर्कर्स को भी प्रॉविडेंट फंड में अंशदान नहीं करने का विकल्प दिया जाना चाहिए। लेबर की ज्यादा जरूरत वाले सभी सेक्टरों में फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट को लागू करने से एंप्लॉयर्स को तय अवधि के लिए डिमांड के आधार पर वर्कर्स को हायर करने में सहूलियत होगी और ऐसे वर्कर्स को काम के घंटों, तनख्वाह, भत्तों और अन्य बातों में स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं भी दी जा सकेंगी।

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