Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Mar, 2020 06:26 PM
पिछले दो हफ्ते उत्तर भारत के किसानों के लिए बहुत ही भारी साबित हुए। जगह-जगह तेज बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से बड़े पैमाने पर किसानों की फसल बर्बाद हुई है। खेतों में सरसों और गेहूं की फसल कटने के लिए तैयार खड़ी थी लेकिन ओला और बारिश के
नई दिल्लीः पिछले दो हफ्ते उत्तर भारत के किसानों के लिए बहुत ही भारी साबित हुए। जगह-जगह तेज बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से बड़े पैमाने पर किसानों की फसल बर्बाद हुई है। खेतों में सरसों और गेहूं की फसल कटने के लिए तैयार खड़ी थी लेकिन ओला और बारिश के चलते फसल पूरी तरह से बर्बाद होने के समाचार मिले हैं। हालांकि प्रभावित राज्यों की सरकारों ने फौरन ही किसानों को मुआवजा राशि देने का फैसला किया है।
केंद्र सरकार भी किसानों को राहत देने के लिए जुट गई है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि मौसम की मार या आपदाओं के कारण फसलों को हुए नुकसान का आकलन अब उपग्रह (सैटेलाइट) से किया जाएगा, जिससे किसानों को फसल बीमा का लाभ या मुआवजा देने में ट्रांसपेरेंसी आएगी और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी।
तीन साल के लिए होगा टेंडर
फसल बीमा में दूसरा बदलाव यह किया गया है कि पहले बीमा कंपनियों के लिए अब एक साल की जगह कम से कम तीन साल के लिए टेंडर भरना अनिवार्य होगा। इससे किसानों की समस्या का समाधान होगा, क्योंकि तीन साल के लिए जब कंपनी टेंडर भरेगी तो किसानों के प्रति उनकी जिम्मेदारी बनी रहेगी।
वहीं, फसल बीमा की प्रीमियम में किसानों के अंशदान में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। किसानों को खरीफ फसलों पर 2 फीसदी, रबी फसलों पर 1.5 फीसदी ही प्रीमियम भरना होगा। लेकिन राज्यों के लिए अब यह तय कर दिया गया है कि वे सिंचित क्षेत्र कंपनी को 25 और गैर सिंचित क्षेत्र के लिए 30 फीसदी से अधिक प्रीमियम नहीं देंगे।