Edited By ,Updated: 16 May, 2017 12:54 PM
सरकार की सोने में निवेश को लेकर शुरू की गई विभिन्न प्रकार की योजनाएं आम जनता का ध्यान खींचने में असफल रहीं हैं। एक शोध संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन में
अहमदाबादः सरकार की सोने में निवेश को लेकर शुरू की गई विभिन्न प्रकार की योजनाएं आम जनता का ध्यान खींचने में असफल रहीं हैं। एक शोध संस्थान द्वारा किए गए अध्ययन में यह निष्कर्ष सामने आया है। इसमें कहा गया है कि आम जनता के बीच इन निवेश योजनाओं को लेकर अधिक जानकारी नहीं है।
इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंसियल मैनेजमेंट एण्ड रिसर्च (आईएफएमआर) के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया और इसके लिए भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद के ‘भारत स्वर्ण नीति केन्द्र (आईजीपीसी) ने वित्तपोषण उपलब्ध कराया है। देश के 4 जिलों महाराष्ट्र में कोल्हापुर, तमिलनाडु में कोयंबटूर, पश्चिम बंगाल में हुगली और उत्तर प्रदेश में सहारनपुर में 1,000 लोगों के बीच यह अध्ययन किया गया। आईजीपीसी के प्रमुख प्रोफेसर अरविंद सहाय ने यह जानकारी दी।
अध्ययन में जो बात सामने आई वह एक तरह से चौंकाने वाली है। इन 4 जिलों में जिन 1,000 लोगों से बातचीत की गई उनमें से केवल 5 लोगों को ही सरकार की स्वर्ण योजनाओं के बारे में जानकारी थी। सरकार ने सोने की भौतिक मांग को कम करने के लिए इससे जुड़ी कई निवेश योजनाएं शुरू की हैं। स्वर्ण मुद्रीकरण योजना, सावरेन गोल्ड बॉंड योजना और स्वर्ण सिक्का योजना जैसी कई योजनायें शुरू की गई हैं।
आईएफएमआर शोधकर्ता मिशा शर्मा ने कहा, ‘‘हमें पता चला है कि लोगों के बीच इन तीन स्वर्ण योजनाओं के बारे में या तो बहुत कम जानकारी है या फिर उनमें कोई जागरकता नहीं है। ये योजनायें दो साल पहले केन्द्र सरकार ने शुरू की हैं। 4 जिलों में से केवल 5 लोगों को ही इसके बारे में जानकारी थी।’’