Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 May, 2018 03:20 PM
केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को चुकता करने के लिए 5.50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने को आज मंजूरी दे दी है। इसका मकसद नकदी समस्या से जूझ रही मिलों को गन्ना बकाए के भुगतान में मदद करना है।
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को चुकता करने के लिए 5.50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने को आज मंजूरी दे दी है। इसका मकसद नकदी समस्या से जूझ रही मिलों को गन्ना बकाए के भुगतान में मदद करना है। किसानों को प्रोडक्शन लिंक्ड सब्सिडी दी जाएगी। चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर करीब 20,000 करोड़ रुपए के करीब पहुंच चुकी है। ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने सब्सिडी की सिफारिश की थी।
मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने गन्ना किसानों के लिए 55 रुपए प्रति टन (5.5 रुपए प्रति क्विंटल ) उत्पादन संबद्ध सब्सिडी देने को मंजूरी दी है। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान की समस्या का हल करने के लिए केंद्र सरकार ने मंत्रियों के समूह का गठन किया था, तथा मंत्रियों के समूह ने सब्सिडी देने की सिफारिश की थी। सरकार ने यह फैसला ऐसे समय किया है जब कर्नाटक में 12 मई को चुनाव होने हैं। कर्नाटक प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्य है।
उद्योग संगठन इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि चीनी उद्योग को चीनी मिल गेट भाव में गिरावट के कारण भारी नुकसान का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि सब्सिडी राशि 1,500 से 1,600 करोड़ रुपए हो सकती है। यह मिलों द्वारा विपणन वर्ष 2017-18 (अक्तूबर-सितंबर) में गन्ने की पेराई पर आधारित होगी।
इस्मा के अनुसार देश में गन्ने का उत्पादन बढऩे से चीनी उत्पादन 15 अप्रैल तक बढ़कर 2.99 करोड़ टन तक पहुंच गया। इसके कारण किसानों के गन्ने का बकाया 20,000 करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया। देश में चीनी की सालाना मांग ढाई करोड़ टन तक आंकी गई है। इससे पहले 2016- 17 में चीनी का उत्पादन 2.03 करोड़ टन रहा था। घरेलू स्तर पर चीनी के बढ़ते उत्पादन और गिरते दाम को देखते हुए केन्द्र सरकार ने चीनी आयात पर शुल्क को पहले ही बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया जबकि निर्यात पर शुल्क को पूरी तरह समाप्त कर दिया। सरकार ने मिलों से 20 लाख टन चीनी का निर्यात करने को भी कहा है।