एक्सपोर्टर और इंपोर्टर को सरकार ने दी राहत, कारोबारियों को होगा यह फायदा

Edited By ,Updated: 28 Nov, 2016 05:39 PM

govt issued relief for exporter importer

सरकार ने ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को बेहतर करने के लिए एक्सपोर्टर और इंपोर्टर को राहत दी है।

नई दिल्लीः सरकार ने ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को बेहतर करने के लिए एक्सपोर्टर और इंपोर्टर को राहत दी है। सरकार ने एक्सपोर्टर और इंपोर्टर के सिस्टम को ऑनलाइन करने कि दिशा में काम किया है जिसके तहत उन्हें कस्टम क्लीयरेंस के लिए प्रिंटआउट और डॉक्यूमेंट जमा नहीं कराने होंगे। ये सब काम ऑनलाइन होगा। एक्सपोर्टर और इंपोर्टर सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे।

1 दिसंबर से ऑनलाइन सबमिट होंगे पेपर
एक्सपोर्टर और इंपोर्टर को 1 दिसंबर 2016 से पेपर सबमिट नहीं करने होंगे। सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज और कस्टम (सी.बी.ई.सी.) ने जारी सर्कुलर जारी कर दिया है। अब एक्सपोर्टर और इंपोर्टर को जीएआर 7 फॉर्म, टीआर 6 चालान, ट्रांस शिपमेंट परमिट, शिपिंग बिल, बैंक को दिए एंट्री बिल, डीजीएफटी या कस्टम पोर्ट को दिए एंट्री बिल सबमिट नहीं करने होंगे।

शिपमेंट परमिट की जानकारी भेजी जाएगी इलैक्ट्रॉनिकली 
अब 95 फीसदी इंपोर्टर ड्यूटी ऑनलाइन पे करते हैं। एक्सपोर्टर और इंपोर्टर के जमा किए सभी डॉक्यूमेंट आई.सी.ई.जी.ए.टी.ई. ई-पेमेंट गेटवे पर देखें जाएंगे। अब जीएआर 7 फॉर्म, टीआर 6 चालान के प्रिंटआउट की जरूरत नहीं होगी। ट्रांसपोर्टर के जरिए पोर्ट तक पहुंचने वाले शिपमेंट परमिट की जानकारी इलैक्ट्रॉनिकली भेज दी जाएगी।

विभागों को अपने आप मिलेगी जानकारी
आईसीईएस के जनरेट किए जाने वाले बिल जैसे शिपिंग बिल और एंट्री बिल इलैक्ट्रॉनिकली जेनरेट होंगे। सी.बी.ई.सी. डिजीटली साइन किए बिल डीजीएफटी को देगा। शिपिंग बिल को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ई.डी.पी.एम.एस. (एक्सपोर्ट डाटा प्रोसेसिंग एंड मॉनिटरिंग सिस्टम) को भी जोड़ा जाएगा। इससे कारोबारियों को बिल प्रिंट नहीं करने होंगे। इसके लिए पोर्ट के कस्टम हाउस, एयर कार्गो कॉम्पलेक्स, आईसीडी और सीएफसी को भी दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

एक्सपोर्टर ने इस कदम को सराहा
एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ हैंडीक्राफ्ट (ई.पी.सी.एच.) के अध्यक्ष राकेश कुमार ने कहा कि सरकार का ये कदम सराहनीय है क्योंकि इससे एक्सपोर्टर और इंपोर्टर दोनों को राहत मिलेगी। उन्हें बिल के प्रिंट आउट नहीं निकालने होंगे। उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इससे एक्सपोर्टर और इंपोर्टर को कम समस्याएं आएंगी।
 

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