Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Jun, 2019 06:17 PM
बिमल जालान समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक के पास पड़ी आवश्यकता से अधिक आरक्षित पूंजी से केंद्र सरकार को 3 लाख करोड़ रुपए की राशि मिल सकती है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।
मुंबईः बिमल जालान समिति की रिपोर्ट के आधार पर भारतीय रिजर्व बैंक के पास पड़ी आवश्यकता से अधिक आरक्षित पूंजी से केंद्र सरकार को 3 लाख करोड़ रुपए की राशि मिल सकती है। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। समिति की रिपोर्ट का इंतजार है।
जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में कहा कि यह राशि सरकार को हिस्सों में कुल मिला कर तीन साल में मिलेगी और ज्यादा संभावना है कि इसका उपयोग सरकार के नियमित व्यय में किया जा सकेगा। रिजर्व बैंक के लिए उपयुक्त आर्थिक पूंजी रूपरेखा पर गठित बिमल जालान समिति का गठन पिछले साल दिसंबर में किया गया। समिति अगले महीने रिपोर्ट देगी। अबतक समिति को रिपोर्ट देने की समयसीमा तीन बार बढ़ाई जा चुकी है।
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा, ‘‘बाजार की उम्मीदों के अनुसार रिजर्व बैंक के पास पड़ी आरक्षित पूंजी में से 3 लाख करोड़ रुपए तीन साल की अवधि में किस्तों में दिए जाएंगे। हालांकि हमारा मानना है कि अंतत: कोष का हस्तांतरण कम होगा।'' रिपोर्ट के अनुसार 45 प्रतिशत संभावना है कि धन का उपयोग सरकार के नियमित व्यय को पूरा करने के लिए और केवल 20 प्रतिशत गुंजाइश है कि इसका उपयोग बैंकों में पूंजी डालने में किया जाएगा। वहीं 25 प्रतिशत संभावना रिजर्व बैंक के कर्ज को खत्म करने में इसका उपयोग किया जा सकता है।
बैंकों के फंसे कर्ज का सकल स्तर घटेगा
वसूली बढ़ने तथा ऋण की किश्तें अटकने के नए मामलों में कमी को देखते हुए देश में बैंकों की सकल अवरुद्ध परिसंपत्ति (एनपीए) चालू वित्त वर्ष के अंत तक कम होकर 8 प्रतिशत पर आ सकती है। एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया कहा गया है। बैंकों में सकल एनपीए का स्तर मार्च 2018 में बकाया कर्ज के 11.5 प्रतिशत था जो मार्च 2019 में घटकर 9.3 प्रतिशत पर आ गया।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस वित्त वर्ष 2019-20 में बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में निर्णायक रूप से बदलाव आना चाहिए। मार्च 2020 तक सकल एनपीए 8 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है जो दो साल में 3.5 प्रतिशत कमी दर्शाता है। कर्ज बिगड़ने के नए मामलों में कमी के साथ साथ मौजूदा एनपीए खातों में वसूली में वृद्धि से ऐसा संभव हो सका है।''