Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Aug, 2022 10:33 AM
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सोमवार को कहा कि टाटा कम्युनिकेशंस ने वित्त वर्ष 2006-07 से 2017-18 के दौरान अपनी सकल आय कम करके दिखाई जिससे सरकार को लाइसेंस शुल्क के रूप में 645 करोड़ रुपए कम प्राप्त हुए। इसके साथ ही कैग ने टाटा कम्युनिकेशंस...
नई दिल्लीः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने सोमवार को कहा कि टाटा कम्युनिकेशंस ने वित्त वर्ष 2006-07 से 2017-18 के दौरान अपनी सकल आय कम करके दिखाई जिससे सरकार को लाइसेंस शुल्क के रूप में 645 करोड़ रुपए कम प्राप्त हुए। इसके साथ ही कैग ने टाटा कम्युनिकेशंस लिमिटेड से यह राशि वसूले जाने की जरूरत बताई है।
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘एनएलडी (नेशनल लांग डिस्टेंस), आईएलडी (इंटरनेशनल लांग डिस्टेंस) और आईएसपी (इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर)-आईटी लाइसेंस के संदर्भ में लाभ-हानि विवरण एवं बहीखाते के संबंध में 2006-07 से 2017-18 के दौरान समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) ब्योरे के ऑडिट से पता चलता है कि 13,252.81 करोड़ रुपए तक का सकल राजस्व कम दिखाया गया। इसके कारण लाइसेंस शुल्क के रूप में 950.25 करोड़ रुपए की कमी आई।''
कैग के मुताबिक दूरसंचार विभाग ने इस कंपनी पर केवल 305.25 करोड़ रुपए का ही शुल्क लगाया। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘दूरसंचार विभाग के 305.25 करोड़ रुपए लाइसेंस शुल्क के आकलन को घटाने के बाद भी लाइसेंस शुल्क 645 करोड़ रुपए बचा रह जाता है। कंपनी से इस राशि की वसूली की जानी चाहिए।''