Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Jul, 2019 02:58 PM
सरकार ने हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवन हंस की बिक्री के लिए शर्तों को काफी उदार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार बीते वित्त वर्ष में सरकार पवन हंस का निजीकरण करने में विफल रही थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कर्मचारियों की...
नई दिल्लीः सरकार ने हेलिकॉप्टर सेवा कंपनी पवन हंस की बिक्री के लिए शर्तों को काफी उदार कर दिया है। सूत्रों के अनुसार बीते वित्त वर्ष में सरकार पवन हंस का निजीकरण करने में विफल रही थी, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने कर्मचारियों की छंटनी, संपत्तियों बिक्री और कर देनदारी से संबंधित शर्तों को नरम किया है।
सरकार की ओर से बिक्री की जिन संशोधित शर्तों का प्रस्ताव किया गया है उनके तहत सफल बोलीदाता को स्थायी कर्मचारियों को कम से कम एक साल तक नौकरी पर बनाए रखना होगा। पहले यह समय कम से कम दो साल का था। इसके अलावा सरकार ने फैसला किया है कि यदि पवन हंस के खिलाफ 577 करोड़ रुपए की कर देनदारी विवाद में फैसला कंपनी के खिलाफ जाता है तो उसका भार खरीदार पर नहीं पड़ेगा।
बिक्री की संशोधित शर्तों के तहत यह भी तय किया गया है कि खरीदार द्वारा पवन हंस की संपत्तियों को अलग करने की समयसीमा को भी तीन साल से घटाकर दो साल कर दिया गया है। सूत्रों ने कहा कि शर्तों में ढील से सफल बोलीदाता को पवन हंस के प्रबंधन में अधिक आजादी मिलेगी। सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में इस हेलिकॉप्टर सेवा प्रदाता की बिक्री का प्रयास किया था लेकिन उसे कोई खरीदार नहीं मिला था। सरकार की पवन हंस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी है। शेष 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ओएनजीसी के पास है। कंपनी के बेड़े में 43 हेलिकॉप्टर हैं।