Edited By Isha,Updated: 29 Dec, 2018 09:53 AM
बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जी.एन.पी.ए.) वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 11.2 प्रतिशत या 10,390 अरब रुपए पर पहुंच गईं। एक साल पहले बैंकिंग प्रणाली का सकल एन.पी.ए. 9.3 प्रतिशत पर था। भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.)की ओर से जारी आंकड़ों के
मुम्बई: बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जी.एन.पी.ए.) वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 11.2 प्रतिशत या 10,390 अरब रुपए पर पहुंच गईं। एक साल पहले बैंकिंग प्रणाली का सकल एन.पी.ए. 9.3 प्रतिशत पर था। भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.)की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार इस दौरान कुल जी.एन.पी.ए. में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की जी.एन.पी.ए. 8,950 करोड़ रुपए थी। इस तरह सरकारी बैंकों का जी.एन.पी.ए. उनके सकल ऋण के 14.6 प्रतिशत के बराबर थीं। वित्त वर्ष 2016-17 में बैंकिंग प्रणाली का सकल एन.पी.ए. 9.3 प्रतिशत पर था। वहीं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एन.पी.ए. 11.7 प्रतिशत था।
जहां तक शुद्ध एन.पी.ए. अनुपात की बात है, पिछले वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति उल्लेखनीय रूप से बिगड़ी। इन बैंकों में शुद्ध एन.पी.ए. बढ़ कर 8 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो उससे एक साल पहले 6.9 प्रतिशत था। निजी क्षेत्र के बैंकों का 2017-18 में सकल एन.पी.ए. 4.7 प्रतिशत पर था है, जो उससे पिछले वित्त वर्ष में 4.1 प्रतिशत था। रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी क्षेत्र के बैंकों द्वारा अपने बही खाते को साफ-सुथरा करने के गहन प्रयासों की वजह से उनका सकल एन.पी.ए. अनुपात घटा है। निजी बैंकों द्वारा एन.पी.ए. को बट्टे खाते में डालने के ऊंचे स्तर तथा बेहतर वसूली से उनका सकल एन.पी.ए. घटा है।