Edited By ,Updated: 20 May, 2017 01:39 PM
रेवेन्यू सेक्रेटरी ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और स्नैपडील को सप्लायर्स को पेमेंट लेते समय 1 फीसदी टी.सी.एस. (टैक्स कलेक्ट एट सोर्स) काटना होगा।
नई दिल्लीः रेवेन्यू सेक्रेटरी ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और स्नैपडील को सप्लायर्स को पेमेंट लेते समय 1 फीसदी टी.सी.एस. (टैक्स कलेक्ट एट सोर्स) काटना होगा। गुड्स एंड सर्विस टैक्सी (जी.एस.टी.) के तहत इस टैक्स का कलेक्शन ई-कॉमर्स कंपनियों को ही करना होगा। ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी वेबसाइट पर सामान बेचने वाले सेलर्स को पेमेंट करते समय टी.सी.एस. के तहत कुल एक फीसदी टैक्स की कटौती करेंगी।
पहले क्या था प्रस्ताव
पहले सेंट्रल जी.एस.टी. और स्टेट जी.एस.टी. में एक-एक फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा गया था। ऐसे में कुल टी.सी.एस. 2 फीसदी हो जाता, लेकिन ई-कॉमर्स कंपनियों के विरोध को देखते हुए जी.एस.टी कानून में 'एक फीसदी तक' टी.सी.एस. का ही प्रावधान किया गया है।उसी कानून के तहत 0.5 फीसदी टी.सी.एस. दोनों स्तर पर लगाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
ऐसे समझें...
अगर कोई ई-कॉमर्स कंपनी कस्टमर से 150 रुपए लेता है तो वह वेंडर को 140 रुपए और 10 रुपए कमीशन काट लेता है। उस कमीशन पर जी.एस.टी. का भुगतान करना होगा और वह इस जी.एस.टी. का फायदा उठा सकता है क्योंकि वह कंपनी की बुक में शामिल होगा। पहले आउटपुट लायबिलिटी पर सर्विस टैक्स पर क्रेडिट नहीं मिलता था क्योंकि लोकल वैट देना पड़ता था लेकिन अब उसे यह नहीं देना होगा कंपनी को जीएसटी ही देना होगा। ऐसे में ऑनलाइन ट्रेडर्स को भी इसका फायदा मिलेगा।