'अल्पकाल में नुकसानदायक हो सकते हैं नोटबंदी, GST, पर दीर्घकाल में होगा लाभ'

Edited By ,Updated: 14 Dec, 2016 02:19 PM

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स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ग्लोबल रेटिंग्स ने आज कहा कि नोटबंदी तथा सितंबर 2017 से जी.एस.टी. के लागू होने से अल्पकाल में अर्थव्यवस्था के असंगठित, ग्रामीण और नकद आधारित खंडों पर ‘हानिकारक प्रभाव’ पड़ सकता है।

नई दिल्ली: स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ग्लोबल रेटिंग्स ने आज कहा कि नोटबंदी तथा सितंबर 2017 से जी.एस.टी. के लागू होने से अल्पकाल में अर्थव्यवस्था के असंगठित, ग्रामीण और नकद आधारित खंडों पर ‘हानिकारक प्रभाव’ पड़ सकता है। हालांकि इन सुधारों से अल्पकालीन समस्याओं के बाद दीर्घकाल में लाभ हो सकता है। 

एजेंसी ने आगे कहा कि कंपनियों तथा बैंकों पर अल्पकाल में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि नोटबंदी से नकदी संकट के कारण जी.डी.पी. वृद्धि कम होगी। एजेंसी के क्रेडिट विश्लेषक अभिषेक डांगरा ने ‘इंडियाज डिमोनेटिआईजेशन एंड द जी.एस.टी. शार्ट टर्म पेन फान लांग टर्म गेन’ शीर्षक से लिखे अपने एक लेख में कहा, ‘‘भारत सरकार के सुधारों का दीर्घकालीन संरचनात्मक लाभ होगा लेकिन इसमें अल्पकालीन क्रियान्वयन और समायोजन जोखिम है।’’ यह लेख आज प्रकाशित हुआ है। 

रेटिंग एजेंसी ने हाल ही में 2016-17 के लिए आर्थिक वृद्धि का अनुमान एक प्रतिशत अंक कम कर 6.9 प्रतिशत कर दिया। इसका कारण नोटबंदी से उत्पन्न होने वाली बाधा है। लेख में कहा गया है कि सरकार का उच्च राशि की मुद्रा पर प्रतिबंध के निर्णय से नकदी की काफी समस्या हुई है। 

लेख के अनुसार इन सुधारों से अल्पकालीन समस्याओं के बाद दीर्घकाल में लाभ हो सकता है। क्रेडिट और जोखिम विश्लेषक कंपनी का मानना है कि नोटबंदी तथा जी.एस.टी. से कर का दायर बढ़ेगा और संगठित अर्थव्यवस्था में अधिक भागीदारी होगी। इससे दीर्घकाल में भारत के व्यापार माहौल तथा वित्तीय प्रणाली में लाभ होना चाहिए।  

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