Edited By jyoti choudhary,Updated: 01 Jun, 2018 02:19 PM
जीएसटी कलेक्शन मई महीने में घटकर 94,016 करोड़ रुपए रहा। अप्रैल में यह 1.03 लाख करोड़ रुपए था। वित्त मंत्रालय ने आज यह जानकारी दी। अप्रैल में कलेक्शन अधिक होने की वजह ईयर एंड इफेक्ट रहा।
नई दिल्लीः जीएसटी कलेक्शन मई महीने में घटकर 94,016 करोड़ रुपए रहा। अप्रैल में यह 1.03 लाख करोड़ रुपए था। वित्त मंत्रालय ने आज यह जानकारी दी। अप्रैल में कलेक्शन अधिक होने की वजह ईयर एंड इफेक्ट रहा। हालांकि, हर महीने जीएसटी के औसत कलेक्शन देखा जाए तो यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में ज्यादा रहा। पिछले वित्त वर्ष में हर महीने औसतन 89,885 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जीएसटी से मिला। जबकि मई महीने का रेवेन्यू 94,016 करोड़ रुपए दर्ज किया गया।
किस मद में कितना कलेक्शन
मंत्रालय के अनुसार, मई 2018 का ग्रास जीएसटी रेवेन्यू कलेक्शन 94,016 करोड़ रुपए रहा। इसमें केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) 15,866 करोड़, राज्य जीएसटी (एसजीएसटी) 21,691 करोड़, एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) 49,120 करोड़ (24,447 करोड़ का इम्पोर्ट से कलेक्शन भी शामिल) और सेस से 7,339 करोड़ रुपए (854 करोड़ रुपए का इम्पोर्ट कलेक्शन भी शामिल) हासिल हुआ। बता दें, अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 1,03,458 करोड़ रुपए रहा। पहली बार जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ के पार पहुंचा था। देशभर में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) 1 जुलाई 2017 से लागू हो गया है।
11 माह में GST कलेक्शन
माह
|
रेवेन्यू (करोड़ रुपए में )
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जुलाई 2017
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94,063
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अगस्त
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90,669
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सितंबर
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92,150
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अक्टूबर
|
83,346
|
नवबंर
|
80,808
|
दिसबंर
|
86,703
|
जनवरी- 2018
|
86,318
|
फरवरी
|
85174
|
मार्च
|
90,000 |
अप्रैल
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1,03,458 |
मई
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94,016
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62 लाख से ज्यादा फाइल हुए रिटर्न
अप्रैल महीने में 31 मई 2018 तक के लिए फाइल किए गए जीएसटीआर 3बी रिटर्न का आंकड़ा 62.47 लाख रहा। जबकि मार्च में 30 अप्रैल तक के लिए 60.47 लाख रिटर्न फाइल किए गए थे।
राज्यों को 6696 करोड़ का जीएसटी कम्पंसेशन
29 मई 2018 तक के लिए राज्यों को 6,696 करोड़ रुपए का जीएसटी कम्पंसेशन जारी किया गया। इस तरह, वित्त वर्ष 2017-18 (जुलाई-मार्च) में राज्यों को कुल जीएसटी कम्पंसेशन 47,844 करोड़ रुपए जारी किया गया।
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘कुल जीएसटी संग्रह मई 2018 में 94,016 करोड़ रुपए रहा जो 2017-18 में औसत मासिक संग्रह 89,885 करोड़ रुपए से अधिक है। यह ई-वे बिल पेश किए जाने के बाद बेहतर अनुपालन को प्रतिबिंबित करता है।’’