एजुकेशन और हैल्थकेयर GST के दायरे से बाहर, फाइनैंशियल सर्विसेज होंगी महंगी

Edited By ,Updated: 19 May, 2017 02:30 PM

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गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स (जी.एस.टी.) काऊंसिल की मीटिंग के दूसरे दिन शुक्रवार को सर्विसेज पर टैक्स रेट तय हो गईं। इसमें एजुकेशन और हैल्थकेयर को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा गया है।

नई दिल्‍लीः गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स (जी.एस.टी.) काऊंसिल की मीटिंग के दूसरे दिन शुक्रवार को सर्विसेज पर टैक्स रेट तय हो गईं। इसमें एजुकेशन और हैल्थकेयर को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा गया है। वहीं फाइनैंशियल सर्विसेज के लिए 18 फीसदी रेट पर सहमति बनी, जिससे साफ है कि देश में बैंकिंग और इन्श्योरेंस सहित विभिन्न फाइनैंशियल सर्विसेज महंगी हो जाएंगी। सर्विस सेक्टर में ज्यादातर छूट पहले की तरह जारी रहेंगी। इसके अलावा गोल्ड के लिए टैक्स रेट पर सहमति नहीं बन पाई, जिस पर 3 जून को होने वाली अगली मीटिंग में फैसला होगा। 

इन सर्विसेज पर भी रेट हुए तय 
- टैलीकॉम सर्विसेज पर 18 फीसदी रेट तय किया गया। 
- केरल के वित्‍त मंत्री थॉमस इसाक के अनुसार हैल्‍थकेयर और एजुकेशन सर्विसेज को जी.एस.टी. के दायरे से बाहर रखा गया है।
- मीटिंग के बाद मीडिया से बातचीत में इसाक ने कहा कि ब्रांडेड गारमेंट पर जी.एस.टी. की दर 18 फीसदी तय की गई है। 
- अभी तक बैंकिंग, इन्श्योरेंस सहित फाइनैंशियल सर्विसेज पर 15 फीसदी सर्विस टैक्स था। इस प्रकार अब टैक्स रेट 18 फीसदी होने से ये सर्विसेज महंगी हो जाएंगी। 

सर्विसेज पर टैक्‍स रेट अहम
-  सर्विसेज टैक्‍सेशन के संबंध में कुछ राज्‍य टैलीकॉम, बैंकिंग जैसी कॉमन सर्विसेज को लोवर स्‍लैब में रखने के पक्ष में हैं। अभी सर्विस टैक्‍स रेट 15 फीसदी है।
- जी.एस.टी. स्‍लैब रेट 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी है। 
- ऐसा मानना है कि कॉमन सर्विसेस को 18 फीसदी के स्‍लैब में रखने आम आदमी को झटका लगेगा।

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