व्यापारियों और सरकार के लिए जी का जंजाल बना GST

Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Sep, 2017 11:15 AM

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वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लागू हुए तकरीबन 3 महीने होने जा रहे हैं। इसके लागू होने के वक्त व्यापारी-कारोबारी....

नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) को लागू हुए तकरीबन 3 महीने होने जा रहे हैं। इसके लागू होने के वक्त व्यापारी-कारोबारी तमाम आशंकाओं से परेशान थे और आज भी हैं। समझा गया था कि सब शुरूआती दिक्कतेें और आशंकाएं हैं। जी.एस.टी. से कारोबार करना सरल और आसान हो जाएगा। टैक्स पर टैक्स के युग का अंत हो जाएगा। दूसरी चीजें सस्ती होंगी। केंद्र सरकार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। इसकी 2 वजह थी- पहली जी.एस.टी. लागू करने का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को मिल गया, जिसके लिए मनमोहन सिंह सरकार ने सालों कड़ी मशक्कत की थी।

बार बार बढ़ाई जा रही रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 
मौजूदा सरकार को लग रहा था कि जी.एस.टी. के रूप में सोने का अंडा देने वाली मुर्गी उसके हाथ लग गई है पर अब मोदी सरकार के माथे पर भी बल पड़ रहे हैं। दिन-रात माथापच्ची चल रही है कि मौजूदा आर्थिक मंदी से कैसे उबरा जाए? जी.एस.टी. को 1 जुलाई को लागू करने के वक्त लगभग हर छोटे-बड़े कारोबारी संगठन ने मोदी सरकार को चेताया था कि जी.एस.टी. लागू करने की सरकार जल्दी न करे। सरकार व्यापारियों को इस कानून का गहराई से अध्ययन करने के लिए वक्त दे, व्यापक स्तर पर प्रशिक्षण दे। जी.एस.टी. नैटवर्क का परीक्षण भी सरकार को कर लेना चाहिए, जिस पर जी.एस.टी. की बुनियाद टिकी है। जी.एस.टी. सिर्फ दाखिल करने की अंतिम तारीख सरकार कई बार बढ़ा चुकी है। इससे ही जाहिर है कि जी.एस.टी. नैटवर्क के कामकाज में खामियां हैं।

कम नहीं हुई व्यापारियों की दिक्कतें
जी.एस.टी. कानून भी जटिलता और कई दरों को लेकर शुरू से ही व्यापारियों और टैक्स विशेषज्ञों के बीच भारी आशंकाएं पसरी हुई थीं। जी.एस.टी. लागू होने के लगभग 3 महीने बाद भी व्यापारियों की बात छोडि़ए, सी.ए.-वकील भी पूरी तरह से इस कानून को समझ नहीं पाए हैं। कई बड़े टैक्स विशेषज्ञों का साफ कहना है कि छोटे-छोटे शहरों, कस्बों के सी.ए. और वकील अब तक जी.एस.टी. कानून को पूरी तरह समझ नहीं पाए हैं। इस कानूनी जटिलताओं और नैटवर्क की तकनीकी खामियों से जी.एस.टी. का मूल मकसद ही विफल हो गया है।
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30 लाख रिटर्न दायर
रिटर्न दाखिल करने में काफी वक्त लग रहा है। इसका सीधा असर रिटर्न दाखिल की संख्या पर पड़ रहा है। जुलाई महीने के लिए जी.एस.टी. में पंजीकृत 46 लाख कारोबारियों ने रिटर्न दाखिल किए थे। अब उम्मीद थी 64 लाख रिटर्न दाखिल होने की पर अगस्त महीने में रिटर्न दाखिल हुई लगभग 30 लाख, जबकि पंजीकृत कारोबारियों की संख्या 85 लाख है। यह जी.एस.टी. के पक्षधरों के लिए परेशानी का सबब है।

जुर्माने और दंड का डर
देर से रिटर्न दाखिल करने पर जी.एस.टी. में 18 प्रतिशत ब्याज देनी पड़ती है। इसके अलावा देरी से रिटर्न दाखिल करने पर रोजाना 100 रुपए का जुर्माना अलग से लगता है। गलत रिटर्न या कर चोरी के मामले में जी.एस.टी. कानून में दंड बहुत सख्त है। कर चोरी की अधिक राशि होने पर जुर्माना और जेल दोनों हो सकती है। सी.ए. या टैक्स वकील की चूक का खमियाजा भी करदाता को ही भुगतना है इसलिए व्यापारी, सी.ए. या वकील अतिरिक्त सतर्कता बरत रहे हैं। इसमें काफी समय खप रहा है।

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