GST के तहत आया पेट्रोल तो सरकार को होगा भारी नुकसान: राजीव कुमार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jun, 2018 12:24 PM

gst falls under petrol and the government will suffer huge losses

पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने को लेकर केंद्र सरकार लगातार अपना समर्थन जाहिर कर रही है। हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों को जल्द जीएसटी के तहत लाने पर कोई फैसला होना मुश्किल लग रहा है।

बिजनेस डेस्कः पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने को लेकर केंद्र सरकार लगातार अपना समर्थन जाहिर कर रही है। हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों को जल्द जीएसटी के तहत लाने पर कोई फैसला होना मुश्किल लग रहा है। नीति आयेाग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की मानें तो यह काम मुश्क‍िल ही नहीं, बल्क‍ि असंभव है। 

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तेल को GST के दायरे में नहीं लाया जा सकता 
राजीव कुमार का कहना है, ''तेल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है क्योंकि पेट्रोल पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा लगाया गया कर इस समय तकरीबन 90 फीसदी है।'' राजीव कुमार ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कोई भी राज्य इतने बड़े स्तर पर अपने कर में कटौती के लिए तैयार होगा क्योंकि जीएसटी के तहत अध‍िकमत 28 फीसदी जीएसटी लग सकता है। इसके लिए जीएसटी की एक नई पट्टी बनानी होगी, जिसके लिए बड़ी कवायद करनी होगी।'' 

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पेट्रोलियम उत्पादों पर कर घटाया जाए
हालांकि सभी मदों को नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाने का समर्थन करते हुए कुमार ने कहा कि जो लोग इसे जीएसटी के दायरे में लाने की बात कर रहे हैं, उन्होंने अभी इस तरह से विचार नहीं किया है। उन्होंने कहा, "ऐसा करने का बेहतर तरीका यह है कि पहले पेट्रोलियम उत्पादों पर कर घटाया जाए, जैसा कि मैंने कई बार सार्वजनिक तौर पर कहा है। राज्य सरकारें इस पर वैट (मूल्यवर्धित कर) लगाती हैं, जिसमें कीमत बढ़ने पर फायदा होता है। इसका राष्ट्रीयकरण करने की जरूरत है।" उन्होंने आगे कहा, "राज्यों को खासतौर से इसपर कर घटाना चाहिए।"

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...तो अर्थव्यवस्था पर घटेगा बोझ 
कुमार ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को तेल पर करारोपण से अपनी स्वतंत्रता से अलग होने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। उनके अनुसार, केंद्र सरकार को तेल पर कर से 2.5 लाख करोड़ रुपए प्राप्त होता है और राज्य सरकारों को भी तकरीबन दो लाख करोड़ रुपए कर संग्रह तेल से होता है। उन्होंने सवालिया अंदाज में कहा, "इसकी भरपाई कहां से वे करेंगे।" उन्होंने कहा कि अगर करों में धीरे-धीरे कटौती की जाएगी तो अर्थव्यवस्था पर बोझ घटेगा।"

कुमार के मुताबिक तेल की ज्यादा कीमतें अर्थव्यवस्था पर एक कर के समान होती हैं। इसलिए अगर तेल की कीमतें घटती हैं, तो इससे आर्थ‍िक गतिविधियों में भी सुधार होगा। बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली से लेकर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान समय-समय पर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए अपना समर्थन जाहिर कर चुके हैं। उनके मुताबिक इससे पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से राहत मिलेगी। 
 

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