Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Dec, 2018 06:13 PM
केंद्र और मध्यप्रदेश के कर विभागों ने साझी मुहिम के तहत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेजा लाभ उठाने से जुड़े अंतरराज्यीय फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। इसके तहत 404 फर्मों का धातु स्क्रैप का कुल 1,100 करोड़ रुपए
इंदौरः केंद्र और मध्यप्रदेश के कर विभागों ने साझी मुहिम के तहत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) इनपुट टैक्स क्रेडिट का बेजा लाभ उठाने से जुड़े अंतरराज्यीय फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ किया है। इसके तहत 404 फर्मों का धातु स्क्रैप का कुल 1,100 करोड़ रुपए से ज्यादा का संदिग्ध कारोबार जांच के घेरे में है। प्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि फर्जीवाड़े के सुराग मिलने के बाद मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में 20 से ज्यादा फर्मों के ठिकानों पर छापे मारे गए।
सूत्रों ने बताया कि छापे मारने के बाद खुलासा हुआ है कि इनमें से अधिकांश फर्म फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जीएसटी में पंजीकृत कराए गए थे। इन फर्मों की आड़ में कागजी कारोबार और जाली बिलों के आधार पर सरकारी खजाने से जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने की कोशिश की जा रही थी। मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग और राज्य वस्तु एवं सेवा कर महकमे के आयुक्त पवन कुमार शर्मा ने पुष्टि की कि धातु स्क्रैप के 1,100 करोड़ रुपए से ज्यादा के संदिग्ध कारोबार की जांच कर उन फर्मों की पहचान की जा रही है जिन्होंने जीएसटी के इनपुट टैक्स क्रेडिट का अवैध लाभ उठाने की नीयत से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।
सूत्रों ने बताया कि मध्यप्रदेश के वाणिज्यिक कर विभाग की डेटा विश्लेषण इकाई को आंकड़ों की छान-बीन के दौरान पता चला कि धातु स्क्रैप के कारोबार से जुड़ी कई फर्मों ने माल की खरीदी-बिक्री दिखाते हुए जीएसटी का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल करने के लिए अपना दावा पेश किया। लेकिन इन फर्मों ने संबंधित अवधि का जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया। इस सुराग के बाद मामले की विस्तृत जांच शुरू की गई। उन्होंने बताया कि मामले में 10 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए गए गए हैं। फर्जीवाड़े में इनकी भूमिका की पुष्टि के बाद इनमें से कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक शुरूआती दौर में हालांकि, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात की 404 फर्मों के कारोबार की जांच की जा रही है लेकिन कुछ नये सुराग मिलने के बाद उत्तरप्रदेश और दिल्ली की कई फर्में भी जल्द ही जांच के घेरे में आ सकती हैं।