नई सरकार बनते ही GST का नया फॉर्म जारी होने की संभावना, प्रारूप हुआ पेश

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 May, 2019 05:08 PM

gst new form likely to be issued as new government draft form submitted

गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) प्रधिकरण ने नए और सरल जीएसटी फॉर्म का प्रारूप पेश किया है। नई सरकार बनने के बाद जुलाई में इस फॉर्म को जारी किए जाने की संभावना है। प्राधिकरण ने फॉर्म का ड्राफ्ट पहले जारी किया है

नई दिल्लीः गुड्स एवं सर्विस टैक्स (GST) प्रधिकरण ने नए और सरल जीएसटी फॉर्म का प्रारूप पेश किया है। नई सरकार बनने के बाद जुलाई में इस फॉर्म को जारी किए जाने की संभावना है। प्राधिकरण ने फॉर्म का ड्राफ्ट पहले जारी किया है, जिससे इस पर यूजर्स की राय ली जा सके। यूजर्स फॉर्म में दिए गए टेंपलेट को भरकर उसे प्राधिकरण के पास मेल कर सकते हैं।

किए गए हैं ये बदलाव
नए GST रिटर्न फॉर्म में GST RET-1 (नॉर्मल), GST RET-2 (सहज) and GST RET-3 (सुगम) को मासिक या तिमाही आधार पर भर सकते हैं। इसके साथ ही Annexure of Supplies (GST ANX-1) और Annexure of Inward Supplies (GST ANX-2) भी दिया जा सकता है। इस टेंपलेट को https://demoofflinetool.gst.gov.in/instructions साइट से डाउनलोड किया जा सकता है। GST काउंसिल ने पिछले साल जुलाई में निर्णय लिया था कि 'सहज’ और ‘सुगम’ जीएसटी फॉर्म्स को 1 अप्रैल, 2019 को पायलट बेसिस पर उतारा जाएगा, जबकि इन्हें वित्त वर्ष्स 2019-20 की दूसरी तिमाही से अनिवार्य किया जाएगा।

क्या हाेगा नए फॉर्म में
नए फाइलिंग सिस्टम में ड्रॉप-डाउन मेन्यु, इनवॉयस अपलोड और सिस्टम-जेनरेटेड इनवर्ड सप्लाई से मैच करने के लिए पर्चेज रजिस्टर को अपलोड करने का फंक्शन मिलेगा। सप्लायर्स काे Form GST RET-1 में डिटेल रिटर्न फाइल करना होगा। जो व्यापारी सिर्फ ग्राहकों को माल सप्लाई करते हैं (B2C), उन्हें 'सहज' रिटर्न फॉर्म भरना होगा। इसमें आउटवर्ड और इनवर्ड सप्लाई, रिवर्स चार्ज के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने के लिए इनवर्ड सप्लाई का ब्यौरा देना होगा। जो व्यापारी अन्य व्यापारियों (B2B) और कस्टमर्स (B2C) को सप्लाई करते हैं, उन्हें 'सुगम' फॉर्म भरना होगा।

जीएसटी व्यवस्था
जीएसटी के तहत 1.21 करोड़ लोग इनडायरेक्ट टैक्स योजना में रजिस्टर्ड हैं। इन्हें दो कैटेगरी में बांटा गया है: कंपोजिशन स्कीम और अन्य। कंपोजिशन स्कीम के तहत रजिस्टर्ड लोगों को तिमाही आधार पर रिटर्न फाइल करना होता है। जबकि अन्य को मासिक आधार पर। इसके अलावा सभी टैक्सपेयर्स को सालाना रिटर्न भी भरना होता है। नई व्यवस्था के लागू होने के बाद 27 करोड़ से ज्यादा रिटर्न फाइल किए गए हैं।

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