Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jan, 2018 03:47 AM
दिसम्बर 2017 में वस्तु और सेवाकर (जी.एस.टी.) की कलैक्शन में विस्तार दिखाया गया है, परन्तु इसके बावजूद यहां चिंता है कि जुलाई तक भारी कुलैक्शन वित्तीय घाटे के मोर्चे पर समस्या पैदा कर सकती है। हालांकि, पता चलता है कि ये चिंताएं बेबुनियाद हैं। कैग...
नई दिल्ली: दिसम्बर 2017 में वस्तु और सेवाकर (जी.एस.टी.) की कलैक्शन में विस्तार दिखाया गया है, परन्तु इसके बावजूद यहां चिंता है कि जुलाई तक भारी कुलैक्शन वित्तीय घाटे के मोर्चे पर समस्या पैदा कर सकती है। हालांकि, पता चलता है कि ये चिंताएं बेबुनियाद हैं। कैग (आडिट एंड कम्पट्रोलर जनरल) के अनुसार सरकार वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट अनुमान के मुताबिक केन्द्रीय टैक्स कलैक्शन का लक्ष्य प्राप्त करने के नजदीक है, यानी कि जी.एस.टी. कलैक्शन अब ट्रैक पर आ गया है, जिसके साथ राजस्व पर कोई बोझ नहीं है।
हालांकि नए टैक्स सुधारों के सामने बहुत-सी चुनौतियां हैं। जी.एस.टी. की उलझन यह है कि केन्द्र और राज्यों के बहुत से अप्रत्यक्ष टैक्सों को जोड़ती है, जो महीनावार कलैक्शन लक्ष्य संबंधी अंदाजा लगाने को बहुत मुश्किल बनाती है। अगस्त 2017 में एक प्रैस कांफ्रैंस दौरान वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा था कि जुलाई में यह कलैक्शन उस महीने के 91,000 करोड़ के लक्ष्य की अपेक्षा बेहतर था। यह संख्या महीनेवार जी.एस.टी. कलैक्शन को मापने के लिए बाल-पार्क फिग्गर के लिए इस्तेमाल किया गया था।
नवम्बर 2017 में रही सब से कम टैक्स कलैक्शन
करीब 200 वस्तुओं की सेवाओं पर जी.एस.टी. कम कर देने की वजह से नवम्बर में टैक्स कलैक्शन सबसे कम रही थी। नवम्बर में कुल 80,808 करोड़ टैक्स के रूप में प्राप्त हुए। हालांकि लगातार 2 महीने नीचे जाने के बाद दिसम्बर में इसमें कुछ सुधार आया और कुल 86,703 करोड़ रुपए का टैक्स मिला। अक्तूबर में टैक्स कलैक्शन 83,000 था। वर्णनीय है कि सितम्बर में जी.एस.टी. कुलैक्शन 92,150 करोड़ रुपए था।
लक्ष्य से कम कलैक्शन असली केस नहीं
अगर हम इन आंकड़ों का प्रयोग करें, तो अक्तूबर महीने की जी.एस.टी. कलैक्शन (83,346 करोड़ रुपए), नवंबर (80,808 करोड़) और दिसंबर (86,703 करोड़) के तय लक्ष्य से बहुत कम है परन्तु यह केस असली नहीं हो सकता। महीनावार जी.एस.टी. कुलैक्शन लक्ष्य का अंदाजा लगाने के लिए हमें जी.एस.टी. लागू होने के बाद के 2017 -18 के बजट अनुमानों में अंदाजन कुल राजस्व को देखना पड़ेगा। हालांकि लगभग सभी सॢवस टैक्सों को जी.एस.टी. के अधीन लाया गया है, सिर्फ एक्साईज ड्यूटी की कुल प्राप्ति का तीसरा हिस्सा जी.एस.टी. के अंतर्गत है, जबकि सरकार ने अभी बहुत से पैट्रोलियम उत्पादों को नए टैक्स सुधार से बाहर रखा हुआ है। कस्टम ड्यूटी प्राप्ति का 64 प्रतिशत हिस्सा अब जी.एस.टी. के अंतर्गत है।
इस आधार के अनुसार केन्द्र सरकार को अपने अप्रत्यक्ष टैक्सों की प्राप्ति के लिए 43,000 करोड़ रुपए इक्टठे करने की जरूरत है। इस राजस्व का एक हिस्सा केन्द्र राज्यों को सौंपेगा। राज्यों को 43,000 करोड़ रुपए प्रति महीना मिला है, जो वित्तीय वर्ष 2015-16 के कुल वाॢषक राजस्व प्राप्ति का 14 प्रतिशत बनता है। इन आंकड़ों से अनुसार महीनावार जी.एस.टी. कलैक्शन लगभग 80,000 करोड़ रुपए बनता है जो केन्द्र और राज्यों की ‘ज़रूरत’ पूरी करने के लिए काफी है।